Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2018 · 2 min read

माँ के नाम चिट्ठी

विषय ….पत्र लेखन
विषय.. माँ के नाम पत्र
दिवस…..शनिवार
दिनांक….२८/७/२०८
???????
???????

परम पूजनीय माँ
सादर चरण वंदन

मैं तुम्हारे स्नेहाशीष के छत्रछाया में कुशल हूँ एवं तुम्हारी कुशलता, स्वस्थता व सानंदता के लिए परमपिता परमेश्वर से नित्य ही करबद्ध प्रार्थना करता हूँ।
कुशलोपरान्त , मन बड़ा व्यथित रहने लगा है माँ, जी करता है तेरे गोद में सर रख कर सो जाऊं , तेरे स्नेहिल हाथों का स्पर्श पाकर इस बहुरंगी दुनिया के झमेलों को सदा के लिए भूल जाऊं परन्तु शायद अब यह संभव नहीं ।

अब तो जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा मैं इस कदर उलझ गया हूँ कि घर द्वार सब सपने हो गये। तुम्हारे चरणों से दूर यह जीवन बड़ा ही बोझिल लगता है …काश…हम बड़े न होते ।

कभी चार चार पन्नों का पत्र लिखकर भी जी नहीं भरता था किन्तु आज एक संक्षिप्त सा पत्र भी लिख पाने में हाथ कपकपा रहा है .दिल कहता है भावनाओं को कलम के सहारे कागद पे उतार दूँ किन्तु दिमाग कहता है नहीं अब तुम छोटे बच्चे नहीं रहे , जो ; कुछ भी उलजलूल माँ को लिख दोगे …..अब तुम बड़े हो गये हो जो भी लिखना सोच समझ कर लिखना …..माँ बाप से जो भी कहना सोच समझ कर कहना ..।

क्या फायदा ऐसे बड़े होने का जो माता पिता से अपने मन की बात कहने पर ही प्रतिबंध लगा दे।
खैर जैसा भी हूँ जहाँ भी हूँ मैं ठीक हूँ एवं तुम्हारी सलामती चाहता हूँ।
और क्या लिखूं समझ नहीं पा रहा हूँ माँ।
सादर चरण स्पर्श
तुम्हारा बेटा…….

✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

Language: Hindi
Tag: लेख
1034 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
यह पृथ्वी रहेगी / केदारनाथ सिंह (विश्व पृथ्वी दिवस)
यह पृथ्वी रहेगी / केदारनाथ सिंह (विश्व पृथ्वी दिवस)
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं तेरा कृष्णा हो जाऊं
मैं तेरा कृष्णा हो जाऊं
bhandari lokesh
आइना अपने दिल का साफ़ किया
आइना अपने दिल का साफ़ किया
Anis Shah
(मुक्तक) जऱ-जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
(मुक्तक) जऱ-जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
सत्य कुमार प्रेमी
तिलक-विआह के तेलउँस खाना
तिलक-विआह के तेलउँस खाना
आकाश महेशपुरी
सिंदूरी भावों के दीप
सिंदूरी भावों के दीप
Rashmi Sanjay
सब वर्ताव पर निर्भर है
सब वर्ताव पर निर्भर है
Mahender Singh
" कटु सत्य "
DrLakshman Jha Parimal
2843.*पूर्णिका*
2843.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
* सत्य पथ पर *
* सत्य पथ पर *
surenderpal vaidya
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो - संदीप ठाकुर
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
निराकार परब्रह्म
निराकार परब्रह्म
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
"रिश्तों का विस्तार"
Dr. Kishan tandon kranti
श्री राम का अन्तर्द्वन्द
श्री राम का अन्तर्द्वन्द
Paras Nath Jha
क्या यही प्यार है
क्या यही प्यार है
gurudeenverma198
इश्क चख लिया था गलती से
इश्क चख लिया था गलती से
हिमांशु Kulshrestha
■ रोने से क्या होने वाला...?
■ रोने से क्या होने वाला...?
*Author प्रणय प्रभात*
मोहब्ब्बत के रंग तुम पर बरसा देंगे आज,
मोहब्ब्बत के रंग तुम पर बरसा देंगे आज,
Shubham Pandey (S P)
इबादत आपकी
इबादत आपकी
Dr fauzia Naseem shad
सजदे में सर झुका तो
सजदे में सर झुका तो
shabina. Naaz
प्रेम का दरबार
प्रेम का दरबार
Dr.Priya Soni Khare
♥️मां ♥️
♥️मां ♥️
Vandna thakur
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*मुख पर गजब पर्दा पड़ा है क्या करें【मुक्तक 】*
*मुख पर गजब पर्दा पड़ा है क्या करें【मुक्तक 】*
Ravi Prakash
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
शहर माई - बाप के
शहर माई - बाप के
Er.Navaneet R Shandily
आप अच्छे हो उससे ज्यादा,फर्क आप कितने सफल
आप अच्छे हो उससे ज्यादा,फर्क आप कितने सफल
पूर्वार्थ
देव विनायक वंदना
देव विनायक वंदना
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
💐प्रेम कौतुक-247💐
💐प्रेम कौतुक-247💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम
Vishal babu (vishu)
Loading...