Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Apr 2024 · 1 min read

इश्क चख लिया था गलती से

इश्क चख लिया था गलती से
जुबाँ पे आज भी दर्द के छाले हैं!!!!

हिमांशु Kulshrestha

1 Like · 24 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*इश्क़ न हो किसी को*
*इश्क़ न हो किसी को*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*अहमब्रह्मास्मि9*
*अहमब्रह्मास्मि9*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सामाजिक बहिष्कार हो
सामाजिक बहिष्कार हो
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
जब तक दुख मिलता रहे,तब तक जिंदा आप।
Manoj Mahato
याचना
याचना
Suryakant Dwivedi
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*तुष्टीकरण : पाँच दोहे*
*तुष्टीकरण : पाँच दोहे*
Ravi Prakash
मन से उतरे लोग दाग धब्बों की तरह होते हैं
मन से उतरे लोग दाग धब्बों की तरह होते हैं
ruby kumari
क़ैद कर लीं हैं क्यों साँसे ख़ुद की 'नीलम'
क़ैद कर लीं हैं क्यों साँसे ख़ुद की 'नीलम'
Neelam Sharma
Only attraction
Only attraction
Bidyadhar Mantry
खुद ही खुद से इश्क कर, खुद ही खुद को जान।
खुद ही खुद से इश्क कर, खुद ही खुद को जान।
विमला महरिया मौज
बसंत हो
बसंत हो
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
वीकेंड
वीकेंड
Mukesh Kumar Sonkar
ज़िंदगी थी कहां
ज़िंदगी थी कहां
Dr fauzia Naseem shad
चिड़िया
चिड़िया
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी
दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी
Harminder Kaur
अब
अब "अज्ञान" को
*Author प्रणय प्रभात*
कभी भ्रम में मत जाना।
कभी भ्रम में मत जाना।
surenderpal vaidya
3428⚘ *पूर्णिका* ⚘
3428⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
चांदनी न मानती।
चांदनी न मानती।
Kuldeep mishra (KD)
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
manjula chauhan
संत गोस्वामी तुलसीदास
संत गोस्वामी तुलसीदास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"चिन्तन का कोना"
Dr. Kishan tandon kranti
किसी भी सफल और असफल व्यक्ति में मुख्य अन्तर ज्ञान और ताकत का
किसी भी सफल और असफल व्यक्ति में मुख्य अन्तर ज्ञान और ताकत का
Paras Nath Jha
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
Ranjeet kumar patre
संत पुरुष रहते सदा राग-द्वेष से दूर।
संत पुरुष रहते सदा राग-द्वेष से दूर।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
"मन मेँ थोड़ा, गाँव लिए चल"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कुछ लोग गुलाब की तरह होते हैं।
कुछ लोग गुलाब की तरह होते हैं।
Srishty Bansal
मंतर मैं पढ़ूॅंगा
मंतर मैं पढ़ूॅंगा
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
मैं ढूंढता हूं जिसे
मैं ढूंढता हूं जिसे
Surinder blackpen
Loading...