भ्रष्टाचार हमारे सामाजिक व्यवस्था में अंदर तक जड़ेंं जमा चुका है ।शासन प्रणाली में रिश्वत देना और अपना काम कराना एक आम बात हो चुकी है । रिश्वत लेने वाला भी बेधड़क बिना किसी रोक-टोक के अपना पद सिद्ध अधिकार समझ कर रिश्वत लेकर अपनी जेबें भर रहा है। हमारे समाज में भी रिश्वत लेने वाले को हेय दृष्टि से नहीं देखा जाता है। जिसके फलस्वरूप उसमें अपने सम्मान को खोने की चिंता भी समाप्त हो गई है । अतः वह निर्भीक होकर इस कार्य में लिप्त है।
इस कुप्रथा के लिए रिश्वत लेने वाला ही नहीं रिश्वत देने वाला और उस को मान्यता देने वाला यह समाज भी दोषी है ।अतः सामाजिक व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। जिससे इस प्रकार के कृत्य को निकृष्ट कृत्य की श्रेणी में लाकर एवं रिश्वत लेने वालों को द्वारा शासन में कड़े दंड का प्रावधान रखकर एवं समाज में रिश्वत न देने हेतु जागरूकता पैदा करके ही समाज में व्याप्त इस विसंगति से समाज सुरक्षित रह सकता है।
धन्यवाद !
भ्रष्टाचार हमारे सामाजिक व्यवस्था में अंदर तक जड़ेंं जमा चुका है ।शासन प्रणाली में रिश्वत देना और अपना काम कराना एक आम बात हो चुकी है । रिश्वत लेने वाला भी बेधड़क बिना किसी रोक-टोक के अपना पद सिद्ध अधिकार समझ कर रिश्वत लेकर अपनी जेबें भर रहा है। हमारे समाज में भी रिश्वत लेने वाले को हेय दृष्टि से नहीं देखा जाता है। जिसके फलस्वरूप उसमें अपने सम्मान को खोने की चिंता भी समाप्त हो गई है । अतः वह निर्भीक होकर इस कार्य में लिप्त है।
इस कुप्रथा के लिए रिश्वत लेने वाला ही नहीं रिश्वत देने वाला और उस को मान्यता देने वाला यह समाज भी दोषी है ।अतः सामाजिक व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। जिससे इस प्रकार के कृत्य को निकृष्ट कृत्य की श्रेणी में लाकर एवं रिश्वत लेने वालों को द्वारा शासन में कड़े दंड का प्रावधान रखकर एवं समाज में रिश्वत न देने हेतु जागरूकता पैदा करके ही समाज में व्याप्त इस विसंगति से समाज सुरक्षित रह सकता है।
धन्यवाद !
सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीय श्री हमारी मनःस्थिति को समझने के लिए आभरवंदन