कवि संजय कौशाम्बी Tag: ग़ज़ल/गीतिका 193 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read घूँघट हटा के देखो शिकवा,शिकायतों को दिल से मिटा के देखो दरवाजे पर खड़े हैं घूँघट हटा के देखो तुम पर टिकी हुई है बुनियाद जिंदगी की हम मुस्कुरा पड़ेंगे तुम खिलखिला के देखो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 228 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read क्या लेना-देना दिल के इस जज़्बात से क्या लेना-देना बेमतलब की बात से क्या लेना-देना देती है वो साथ उजाले साक्षी हैं तनहाई का रात से क्या लेना-देना आँखों को क्यों दोष... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 393 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुझसे मोहब्बत हो गई है करे क्या दिल की जब दिल से बग़ावत हो गई है मुझे ऐ जिंदगी तुझसे मोहब्बत हो गई है अदाएँ ये सजा देने की देखी जब से मैने मुझे गुस्ताखियाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 176 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read फुरसत में बैठा हूँ बड़ा गुमसुम,बड़ा तन्हा,बड़ी दहशत में बैठा हूँ चले आओ कि मैं भी आजकल फुरसत में बैठा हूँ मुझे नफ़रत भरी नजरों से ऐसे देखने वाले लकीरें देख ले पढ़कर तेरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 168 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read दारू की बोतल में बेशर्मों के बीच हया क्यों रखते हो दिल में अपने दर्द नया क्यों रखते हो कर देंगे बदनाम तुम्हारी तबियत को दारू की बोतल में दवा क्यों रखते हो तनहा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 225 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read बनाकर चाँद को मामा बनाकर चाँद को मामा नए रिश्ते जिलाती हैं सुनाकर लोरियाँ बच्चों को जब माएँ सुलाती हैं न आये आँख में आँसू तुम्हें कैसे दुआ दे दूँ जियादा हों अगर खुशियाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 420 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम छत पे बुला लेना इस बार सलीके से दीवाली मना लेना इक दीप मुहब्ब़त का दिल में भी जला लेना जब दीपों की लड़ियाँ तारों सी दिखें झिलमिल चंदा को इशारे से तुम छत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 298 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read अभी बहरा नहीं हूँ चलो ये मान लेता हूँ कि मैं गहरा नहीं हूँ समंदर मैं भी पर तेरी तरह ठहरा नहीं हूँ मिरे पथ पर तुझे साए दरख़्तों के मिलेंगे हूँ मैं भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 404 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read राधिका ही न क्यों रुक्मणी हो गयी प्रेम की भावना अधमरी हो गयी जब जुदा श्याम से साँवरी हो गयी नींद आँखों से उठकर टहलने लगी वो भटकती रही बावरी हो गयी श्याम ने बाँसुरी का बदन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 211 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मौत भी लेकर कलण्डर आ गई आन की जब बात लब़ पर आ गई म्यान से तलवार बाहर आ गई जिस्म से बेज़ार दुलहन रुह की छोड़कर ससुराल पीहर आ गई वो सजी सँवरी चली परयाग... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 418 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read नहीं रुकता बुलंदी पर नहीं रुकता बुलंदी पर पहुँचकर लौट आता है उछालो लाख तबियत से ये पत्थर लौट आता है कभी सागर,कभी पर्वत,कभी आकाश या जंगल परिंदा हो कहीं भी शाम को घर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 211 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read यूँ गहरी झील सी आँखों से... गिरा हूँ पर सँभलने का हुनर भी जानता हूँ मैं खड़े होकर के चलने का हुनर भी जानता हूँ मैं बदल सकता हूँ खुद को भी जमाने के लिए लेकिन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 267 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम्हारा घर चलाने कौन आता है खि़जां में फूल खुशबू के खिलाने कौन आता है किसी के जख़्म पर मरहम लगाने कौन आता है जो भी आता है वो आता है लेकर अश्क आँखों में तिरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 175 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read जरूरी तो नही लोग समझेंगे मिरी बात जरूरी तो नही एक जैसे हों खयालात जरूरी तो नहीं शर्म,संकोच भी कर देते हैं पानी- पानी भीगने के लिए बरसात जरूरी तो नहीं शर्त चाहत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 200 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read .उन्हें चलना नहीं आया है साँचा वक़्त का जिसमें तुम्हें ढलना नहीं आया करे तूफान क्या जब तुमको ही जलना नहीं आया बना करते वही.....इतिहास के पन्नों की गाथायें भरोसे भाग्य जिनको फूलना-फलना नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 383 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read हम भी मशहूर हैं..... अपनी मासूम सी जिंदगी के लिए लिख रहा हूँ ग़ज़ल आप ही के लिए आँख से रूठकर आँसुओं ने कहा लोग जीते हैं अपनी ख़ुशी के लिए बुत बनो या... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 358 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पैरों में छाला चाहिए रोशनी का रंग भी अब उनको काला चाहिए है अँधेरों की ये ख्वाहिश कुछ उजाला चाहिए प्यार,ममता,फर्ज,इज्जत गुम न हो इसके लिए घर के दरवाजों में अब मजबूत ताला चाहिए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 175 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read जिसे हम गुनगुना आये जिसे हम गुनगुना आये बड़ा सुंदर तराना था थे हम भी आँख के तारे हमारा भी जमाना था महल है आज मेरे पास पर भूला नहीं हूँ मैं किराये के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 220 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पुरखों की निशानी बेच देते हैं महज सिक्कों में अपनी ज़िंदगानी बेच देते हैं नयी मिल जाए तो चीजें पुरानी बेच देते हैं तड़पता प्यास से व्याकुल जो कोई आये चौखट पर तो भरकर बोतलों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 405 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read उलझन में रहता हूँ मैं बनकर प्यार का मोती तेरे दामन में रहता हूँ मुझे मालूम है हर पल तेरी धड़कन में रहता हूँ तू मुझमें और मैं तुझमें दिखाई देते हैं सबको तेरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 179 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मुझको इंसान बना दे मौला करके बेजान...बना दे मौला मुझको आसान बना दे मौला मैं हिफाजत करूं च़रागों की मुझको तूफ़ान बना दे मौला नज़्म सा उसको सँवारा तूने मुझको उनवान बना दे मौला एक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 161 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read वो दे देगा तुम्हें घर.. ख़ुदा रुतबा युँ ही अपना कभी खोने नहीं देगा सदाक़त इश्क़ में हो तो जुदा होने नहीं देगा सदा फुसला के रखना दिल को ये नादान बालक है अगर रोया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 464 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पाँव धरने की इजाजत दो शमां से बोला परवाना कि मरने की इजाजत दो नहीं तो मुस्कुराकर बात करने की इजाजत दो हृदय उपवन तुम्हारा खींचता है रूह को मेरी सुकोमल इस धरा पर पाँव... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 176 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read सताना छोड़ मत देना हमें मालूम है पर तुम जताना छोड़ मत देना तुम्हें मुझसे मोहब्बत है बताना छोड़ मत देना घनी रातों की चादर ओढ़कर जब मैं कभी सोऊं मुझे ख्वाबों में आकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 204 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read बताऊँगा तुम्हें वो बात बताऊँगा तुम्हें वो बात जो खुद से छिपाता हूँ तुम्हीं हो देखकर जिसको मैं ये गजलें बनाता हूँ गलतफहमी की इस दीवार का है बस सिला इतना उधर तुम जुड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 417 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read एक दिन राधिका ने कहा श्याम से एक दिन राधिका ने कहा श्याम से छोड़ कैसे गए इतने आराम से दिन के सूरज में तकती हूँ चेहरा तेरा फूल यादों के खिल जाते हैं शाम से थाम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 804 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम्हारी कनपटी पर कटे या न कटे पर कसमसा कर हम भी बैठे हैं तुम्हारे इश्क में गर्दन फँसाकर हम भी बैठे हैं जमाना चल रहा है चाल शतरंजी ज़माने से वजीरी दांव... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 521 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कभी-कभी यूँ भी कभी-कभी यूँ भी दिल को समझाना पड़ता है जख्म छुपाकर सीने में मुस्काना पड़ता है जब से आँखों में चाहत के ख्वाब सुनहरे जागे हैं आईने से भी अब उनको... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 245 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read दिल की लगी थी ... दिल की लगी थी न तो कोई दिल्लगी हुई ना तो दुआ सलाम न तो पँयलगी हुई जाने था कौन दिल में जिसने घर बना लिया जाले में मकड़ियों को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 442 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मिलें मुश्किल से जो पल मिलें मुश्किल से जो पल वो सदा आबाद रहते हैं सफर आसान हो तो रास्ते कब याद रहते हैं कदर करते हैं जो जज्बात की,आँसू की,रिश्तों की वो पिच पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 133 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पल भर का साथ पल भर का साथ पल में निभाकर चले गए आए वो और दिल को दुखाकर चले गए मेहमान थे वो रुकते भला और कितने दिन दो चार घड़ी वक़्त बिताकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 213 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तारे सजे फ़लक पर ... तारे सजे फ़लक पर बारात हो गए हम मिलने को चाँदनी से खुद रात हो गए हम आकर के बादलों ने हम पर सितम किया यूँ रिमझिम बरस-बरस के बरसात... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 366 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम उस पार खतरे में जुदा जो कर रही हमको नदी की धार खतरे में हैं हम इस पार खतरे में तो तुम उस पार खतरे में अगर ईमानदारी ने सुनाया फैसला तो फिर तुम्हारी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 214 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पुराने हैं घर कई बारिशों में हुए तर बहुत हैं पुराने हैं घर फिर भी बेहतर बहुत हैं अभी तक नहीं कम हुई इनकी कीमत शहर में तो वैसे नये घर बहुत हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 194 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read हवाओं की सारी नमी बँट चुकी है बड़ी थी कभी पर अभी बँट चुकी है कई टुकड़े होकर जमीं बँट चुकी है लगा ले तू टोपी तिलक मैं लगा लूँ ये पहचान भी मजहबी बँट चुकी है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 148 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read अक्सर टूट जाती है कसक कोई हमेशा दिल में या रब छूट जाती है पकड़ता हूँ मै जो डाली वो अक्सर टूट जाती है भरा जाता है जिसमें पाप को बचना नहीं मुमकिन भले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 261 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read घर आ चुके हैं गए थे वो बाहर......मगर आ चुके हैं परिंदे सभी उड़ के......घर आ चुके हैं न आँखें दिखाओ हमें.....अब मियाँ यूँ कि अब हम भी......अपने शहर आ चुके हैं बने रहनुमा......फिर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 183 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पसीना छूट जायेगा मरोगे हर घड़ी हर पल ये जीना छूट जायेगा मोहब्बत देखिए करके पसीना छूट जायेगा हमेशा ख्वाब में सिमटी रहेगी मखमली चादर धरे रह जायेंगे तीरथ मदीना छूट जायेगा सँभलकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 188 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read हैं जख्म जरूरी ये थोड़ा सही लहू मगर उबालिए जनाब हैं जख्म जरूरी ये इन्हें पालिए जनाब यूँ ही किया करेंगे परेशान रात दिन जी में भरे गुबार को निकालिए जनाब जब तक न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 154 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मेरी कहानी पढ़कर डूबते तैरते लफ्जों की रवानी पढ़कर रात सोई ही नहीं मेरी कहानी पढ़कर ज्ञान की बात में जो छोड़ गया दुनिया को लौट आया है वही आँख का पानी पढ़कर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 342 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read शर्मो हया उड़ गई आँख से जब से शर्मो हया उड़ गई यूँ लगा खुशबू लेकर हवा उड़ गई रेत पर चल के आई परी वो मगर दे के कदमों के अपने निशां उड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 205 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम्हारे हाथ की अब भी छुअन... तुम्हारे हाथ की अब भी छुअन लिपटी है गालों में उड़ाता हूँ तुम्हारी याद होली के गुलालों में जवाबों की मैं जब फ़ेहरिस्त कोई ढूंढ़ लाता हूँ उलझ जाती है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 215 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read बस किताबों में लिखी रह जाएँगी चौपाइयाँ एक दिन फट जायेगी कबिरा की सारी पोथियाँ तुलसी सभी की नज़र में बन जायेगा बहुरूपिया वे विवेकानन्द,गाँधी और गौतम मूर्ख थे ये मानसिकता निगल लेगी संस्कृति की बोटियाँ जूतियाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 371 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read राधा दिवानी छोड़ जाऊँ क्या नयन दरिया में ख्वाबों की रवानी छोड़ जाऊँ क्या बता मुझको सुगंधित रातरानी छोड़ जाऊँ क्या तिरी मगरूरियत मैं तोड़ दूँ तुझ पर फ़ना होकर तिरी यादों में अपनी भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 233 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read हम चले आए हैं अपना घर छोड़कर वो गली वो सड़क वो शहर छोड़कर हम चले आए हैं अपना घर छोड़कर जिनके साए में बचपन जवाँ था कभी आए वो जेठ की दोपहर छोड़कर रोजी-रोटी की ख्वाहिश... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 206 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read जिंदगी तुझसे मोहब्बत हो गई है करे क्या दिल की जब दिल से बग़ावत हो गई है मुझे ऐ जिंदगी तुझसे मोहब्बत हो गई है अदाएँ ये सजा देने की देखी जब से मैने मुझे गुस्ताखियाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 357 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मैं कहीं भी रहूँ तू कहीं भी रहे हाथ हो हाथ में, हाथ में भी रहे साथ है तू अगर साथ में भी रहे जिंदगी का मजा आएगा और भी जिंदगी में अगर जिंदगी भी रहे संदली हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 200 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पर्दा हटा के देखो शिकवा,शिकायतों को दिल से मिटा के देखो दरवाजे पर खड़े हैं पर्दा हटा के देखो तुम पर टिकी हुई है बुनियाद जिंदगी की हम मुस्कुरा पड़ेंगे तुम खिलखिला के देखो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 194 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read ख़त का जवाब आने दो जिंदगी क्या है ये लब्बोलुआब आने दो बचपने में लिखे ख़त का जवाब आने दो दूज के चाँद को बढ़ने दो पूर्णमासी तक हुस्न निखरेगा ये इस पर शवाब आने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 178 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मजा आ जाए आँख मैखाना बना लो तो मजा आ जाए जाम नजरों से पिला दो तो मजा आ जाए तुम उधर मैं हूँ इधर और ये गहरा सागर नाव लहरों पे चला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 197 Share Previous Page 2 Next