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18 Mar 2020 · 1 min read

तारे सजे फ़लक पर …

तारे सजे फ़लक पर बारात हो गए हम
मिलने को चाँदनी से खुद रात हो गए हम

आकर के बादलों ने हम पर सितम किया यूँ
रिमझिम बरस-बरस के बरसात हो गए हम

पैरों में बेड़ियाँ जब दुनिया ने डाल दी तो
यादों की भूली-बिसरी सौगात हो गए हम

मतलब निकल रहा था तब थे सगे से बेहतर
पर जब हुई मुहब्ब़त परजात हो गए हम

खुद को बड़ा समझने का था गुरूर लेकिन
बैठे जो पास माँ के नवजात हो गए हम

रहमत खुदा की हम पर जब से हुई है ‘संजय’
अपनों के वास्ते अब औक़ात हो गए हम

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