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6 May 2024 · 1 min read

साक्षात्कार स्वयं का

#दिनांक:-5/5/2024
#शीर्षक:-साक्षात्कार स्वयं का।

आज अकेले मैं स्वयं से मिली,
भगवान कसम बहुत खुश थी।
अपूर्ण प्रेम रस भरकर भी पूर्ण थी,
आनन पर रौनक झलक रहा था।
जाम पर जाम पी,
सुधबुध में खोई थी।
बहुत आश्चर्य से मैं देखती रही कुछ देर,
आज दिखती शेरनी जो थी कभी ढेर।
रह-रहकर कर झूम रही थी,
बिना धुन के गुनगुना रही थी।
फिल्म खुद की,हिरोइन भी आप थी,
कहानी की जान वो खुद की बाप थी।
अनुभव पूछा— बोली बस रहो मौन,
हंसता चेहरा व्यवहार हो अति सौम्य।
अकेले में सब चाह पूरी कर लो,
सारी उम्मीद पानी में बहा,
खुद को खुद की पथप्रदर्शक चुन लो ।
समस्याओं का अंत हो जाएगा,
यही दुनिया फिर तुम्हें बहुत लुभायेगा।
साक्षात्कार स्वयं का,
पुऩः पथप्रदर्शक बन गया।

(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

Language: Hindi
20 Views
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