Rashmi Sanjay Tag: कविता 114 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Rashmi Sanjay 13 Jan 2022 · 1 min read 'अनोखा रिश्ता' रिश्तों पे ठिठकी फ़क़त उलझने थी! ना वो तुम रहे थे ना वो मैं बची थी!! कभी जो थी तेरी ये स्मित अकेली नयन बिन थे सपने नमी इक सजी... Hindi · कविता 445 Share Rashmi Sanjay 13 Jan 2022 · 1 min read प्रेम लजाये चेहरे पर! विश्वास की आभा खुशियाँ भर रौनक ढ़लकाये चेहरे पर! तुम साथ रहो इक दूजे के बस प्रेम लजाये चेहरे पर!! अकसर मीठे एहसास तेरे चुप अधरों पर दिख जाते हैं!... Hindi · कविता 402 Share Rashmi Sanjay 13 Jan 2022 · 1 min read 'दोस्तों की याद में' यादों भरी फिर सुबह आ रही है.. ये बारिश नयन को डुबो जा रही है.. वो मुस्कान खुद की, वो बातें..वो किस्से! वो परछाईं बनते थे लगते फ़रिश्ते! अकेले भला... Hindi · कविता 221 Share Rashmi Sanjay 13 Jan 2022 · 1 min read 'था वो एक ज़माना' था वो एक ज़माना! बस अपना ख़ज़ाना!! वो आसक्ति उन्मुक्त हो के जताना! वो टीका लगा के लजाना लुभाना!! वो जी भर के आँसू से बातें बताना! था वो एक... Hindi · कविता 2 4 495 Share Rashmi Sanjay 10 Jan 2022 · 1 min read साठ की पदचाप! फिर से ना छेड़ो प्रिय आयु की बात.. सुनने दो मुझको साठ की पदचाप! सुनते रहे अबतक सबकी हर बात.. यादों के लम्हात.. उलझे बात बे बात.. चांदी भी सिमट... Hindi · कविता 2 2 300 Share Rashmi Sanjay 9 Jan 2022 · 1 min read 'वृद्ध हाथों को न छोड़ो' जीत लो रिश्तों की बाजी, कुछ ज़रा झुक जाओ अब! गर उपेक्षित हो रहे अपने, तो फिर रूक जाओ बस! झाॅंक लो कुछ पास में, बहते नयन हैं तो नहीं?... Hindi · कविता 2 2 296 Share Rashmi Sanjay 31 Dec 2021 · 1 min read अलविदा 2021 विध्वंसक था साल पुराना.. चला अलविदा अब कह कर ! स्वागत कर लो नये वर्ष का.. नव-आशा से मन भर कर ! स्वरचित रश्मि लहर लखनऊ Hindi · कविता 420 Share Rashmi Sanjay 30 Dec 2021 · 1 min read ये संसार लगा प्यारा है! सपने मेरे ढेरों-ढेर गुड़िया संग करती मैं सैर हाथ पकड़ते पापा मेरे मम्मी साथ घूमती मेले अपनी ये दुनिया अच्छी है परियां भी लगती सच्ची हैं सावन के झूले मन... Hindi · कविता · बाल कविता 239 Share Rashmi Sanjay 29 Dec 2021 · 1 min read मेरी सुनो ना.. जरा संग हो ना! मेरी सुनो ना.. जरा संग हो ना! फिसलता सा हर पल जरा थाम लो ना। यूं खुद को समेटे थका जा रहा हूं उचाटी है मन में न सो पा... Hindi · कविता 1 323 Share Rashmi Sanjay 29 Dec 2021 · 1 min read बिन बताए यूॅं जाना, जरूरी ना था! बिन बताए यूॅं जाना, जरूरी ना था! छूटना यूं अकेले, ज़रूरी था क्या? छोड़ जबसे गये, मैं नहीं जी सकी हाॅं मरी भी नहीं, पर कहाॅं जी सकी? एक बेटी... Hindi · कविता 186 Share Rashmi Sanjay 29 Dec 2021 · 1 min read 'अंगना' घने दरख्तों साथ जुड़ा था, कोने कोने से घर अंगना। छोटा था, पर, जगह बड़ी थी, इठलाता था अक्सर अंगना।। रंगबिरंगी चौक पूरती, सर ढाॅंपे था अक्सर अंगना। नृत्य, भजन,... Hindi · कविता 1 4 450 Share Rashmi Sanjay 28 Dec 2021 · 1 min read तुम्हारा साथ चाहा था.. तुम्हारा साथ चाहा था.. मेरे तुम थे नहीं तो कब तुम्हें वादों में बांधा था.. थे रिश्तों के भी अपने दायरे मालूम था उसको.. तभी छूटा तो रोया था.. न... Hindi · कविता 1 283 Share Rashmi Sanjay 26 Dec 2021 · 1 min read पापा तुम कितने अच्छे थे! पकड़ के उँगली, थाम के बाँहें, चलना तुम सिखला देते थे। पापा तुम कितने अच्छे थे, बस रफ्तार बढा़ देते थे।। आती-जाती, शोर मचाती, रुक जाती थी सड़कों पर, हौले... Hindi · कविता 1 2 389 Share Rashmi Sanjay 25 Dec 2021 · 1 min read कुछ यादों का क्या कहना! कुछ यादों का क्या कहना भरी आँख से बह आती है! गाँव नहरिया मंदिर छूटे द्वार आँगना गोबर लीपे। शगुन पहर नूपुर बन जीते मनस पटल स्मित लाती है। कुछ... Hindi · कविता 371 Share Rashmi Sanjay 24 Dec 2021 · 1 min read 'बदल रे बंधु' पथरीला पथ, मार्ग कटीला, स्मृतियों संग बहल रे बंधु। अंतिम बेला शुरु हुई है, रह ले ख़ुद संग, बदल रे बंधु।। नश्वरता से जुड़ कर देखा, रिसते रिश्ते, बंधन कैसा।... Hindi · कविता 261 Share Rashmi Sanjay 24 Dec 2021 · 1 min read 'प्रिय मुझे छुपा लो' मुझे छुपा लो तुम अपनी, बाँहों के विस्तृत घेरे में। पथरीले पथ ने मेरे, पाँवों को, घायल कर डाला। विरह निशा ने, जागी आँखों में बस, काजल भर डाला। दीया... Hindi · कविता 1 2 283 Share Rashmi Sanjay 23 Dec 2021 · 1 min read फिर भी बाबू जी कहते हैं .. शूल सजे पथ , घायल हर पग बेबस पीड़ा, साथ-साथ है । फिर भी बाबू जी कहते हैं.. यहाँ तो सब कुछ ठीक-ठाक है! कुएं की सूखी दीवारें भी चीत्कारती... Hindi · कविता 185 Share Rashmi Sanjay 21 Dec 2021 · 1 min read प्रतीक्षा! अटकती – सहमती जिन्दगी से लुप्त हो चुकी है सुरभित रात-रानी बढ़ चुकी है मोड़-मोड़ पर बिगड़ैल सी नागफनी जो तैयार रहती है नोंच लेने को ....शब्दों का मुख तरेरती... Hindi · कविता 329 Share Rashmi Sanjay 17 Dec 2021 · 1 min read वो चुप हैं.. उनके पास क्षमता है वो चुप हैं.. वो ला सकते हैं परिवर्तन.. पर! वो बंद किये हैं.. अपनी ऑंखें.. ज़ुबान और मन! जो चीख रहे हैं, वो असहाय हैं.. पर..हिम्मत... Hindi · कविता 348 Share Rashmi Sanjay 16 Dec 2021 · 1 min read प्रिय की प्रतीक्षा में! प्रिय.. तुम्हारी प्रतीक्षा में! जला देतीं हूँ कुछ चिराग, तुलसी के आसपास! भर जाता है, रोम रोम में, तुलसी की सुरभि से लिपटा, तुम्हारा भाव! पत्तियों की ओट से झांकती... Hindi · कविता 226 Share Rashmi Sanjay 16 Dec 2021 · 1 min read अम्मा..याद आता है! अम्मा ! याद आता है.. अक्सर ! अनोखी सुगंध से भरा.. तुम्हारा पावन सा प्यार! दुआएं बेशुमार तुम्हारे भावुक से उद्गार अम्मा ! याद आती है.. तुम्हारी नन्ही सी गठरी... Hindi · कविता 167 Share Rashmi Sanjay 14 Dec 2021 · 1 min read बदल दो फिर परिवेश कबीरा बदल दो फिर परिवेश कबीरा। मिले पुनः सर्वेश कबीरा। चलो तलाशें फिर मिल-जुल कर, उन्हें बुला लें मार्ग बदलकर, मैला दामन श्वेत कबीरा। बदल दो फिर परिवेश कबीरा। चहुँदिशि लुप्त... Hindi · कविता 159 Share Rashmi Sanjay 12 Dec 2021 · 1 min read प्रिय माॅं प्रिय माॅं चाहे हर वर्ष..तू मत जताना हर्ष पर मानना मत मुझको तुम कोई कर्ज.. मैं तुम्हारा मजबूत भविष्य हूॅं .. इस पर करना गर्व.. मुझे अपने ऑंचल से उड़ना... Hindi · कविता 158 Share Rashmi Sanjay 12 Dec 2021 · 1 min read सुकून भरी चाय.. सुकून भरी चाय.. अब तक ..ना पी पाये! शीतल हवा.. सपनों सा झरना हंसती सी शाखो का अपना सा लगना.. माथे की सिलवट जीवन उलझाए सुकून भरी चाय... अब तक... Hindi · कविता 434 Share Rashmi Sanjay 9 Dec 2021 · 1 min read बेमुरव्वत जि़म्मेदारियों की व्यथा तमाम उम्र भर.. भारी –भारी नामों को ... सहेजने की प्रथा है ... तुम्हे पता है ? कितनों की कितनी बेबस व्यथा है ? बहू–चाची–मामी तमगे हैं दायित्वों के.. बेमुरव्वत... Hindi · कविता 183 Share Rashmi Sanjay 9 Dec 2021 · 1 min read अजीब होती जिंदगी अटकती – सहमती जिन्दगी से लुप्त हो चुकी है सुरभित रात-रानी बढ़ चुकी है मोड़-मोड़ पर बिगड़ैल सी नागफनी जो तैयार रहती है नोंच लेने को ....शब्दों का मुख तरेरती... Hindi · कविता 1 204 Share Rashmi Sanjay 7 Dec 2021 · 1 min read मैने माँ! तुमसे सीखा है शून्य हृदय का नहीं निरर्थक, सक्रियता से जीवन सार्थक, भिन्न दुःखों में सुख पा जाना, मैने माँ! तुमसे सीखा है। जीवन तो कलकल सी नदिया बिन पतवार सँभाले नैया और... Hindi · कविता 1 300 Share Rashmi Sanjay 5 Dec 2021 · 1 min read नववधू का भय तुम्हारे प्रेम में सिमटी मैं, लाज से भरी सी.. अपने सपनो के संसार में.. रम रही थी.. मेरे महावर भरे पांव, नई कल्पनाओं के साथ.. तुम्हारे जीवन में पग धर... Hindi · कविता 3 4 423 Share Rashmi Sanjay 29 Nov 2021 · 1 min read 'याद पापा आ गये' हर पहर जीवन की सरगम साधते से, याद पापा आ गये मन ढाॅंपते से । बरस उनके बिन गये रीते सभी, मधुर लम्हें मन से ना बीते कभी, पल रूलाते... Hindi · कविता 3 4 366 Share Rashmi Sanjay 29 Nov 2021 · 1 min read 'किया तो था' अन्तस ने भावों का हौले से श्रंगार किया तो था। मुझे याद है आँखों ने सपनों से प्यार किया तो था।। कल्पनाओं की गठरी सी वो, सज बैठी थी आँगन... Hindi · कविता 1 223 Share Rashmi Sanjay 9 Nov 2021 · 1 min read अकेले -अकेले' प्रकाशित किये दीप हमने अकेले सफर तय किया बस अकेले -अकेले कहाॅं कोई रिश्ता जुड़ा अब मिला था चुराई निगाहें सभी ने अकेले.. लगा रोशनी तुम तलक भी गई पर... Hindi · कविता 2 274 Share Rashmi Sanjay 25 Oct 2021 · 1 min read आलिंगन में सपने चुप.. आज सुधाकर छुअन तुम्हारी फिर विस्मित करने आई मधुरिम मोहक और प्रतीक्षित निशा में रंग भरने आई फिर मृगांक अद्भुत कलाओं से मोहित मन करने आया मलयज डोल रही प्रांगण... Hindi · कविता 1 4 210 Share Rashmi Sanjay 16 Oct 2021 · 1 min read मौन का पत्र मौन ने लिख डाला! व्यक्त न हो पाने की व्यथा.. नाजायज सपनों की सज़ा.. अपनी पीढ़ी के.. कुढ़ते हुए दुःख! कुंठित अभिव्यंजना के टूटे हुए सुख.. और कुछ हालात के... Hindi · कविता 1 219 Share Rashmi Sanjay 16 Oct 2021 · 1 min read विचार मौन थे! विचार मौन थे! आकृतियां आकर्षित थीं आतुरताएं भेज रहीं थीं एक अनुबंध-पत्र उभरने लगे थे शब्द प्रतीक्षाएं परिचित थीं प्रेम उपज रहा था.. लालायित थीं.. व्यक्त होने को..नव-कथाएं! इंन्द्रियां चकित... Hindi · कविता 1 178 Share Rashmi Sanjay 16 Oct 2021 · 1 min read प्रेम तुम्हारी बातें जैसे.. एक शीतल तिलिस्म! इच्छाओं की परियों के साथ ऑंख भींच कर खिलखिलाता.. नन्हें शिशु सा चकित तुम्हारा प्रेम! घुलने लगा है पूरे व्यक्तित्व में! प्रतिबिंबित होने लगे... Hindi · कविता 1 179 Share Rashmi Sanjay 16 Oct 2021 · 1 min read जीने लगता है मन.. पुनः लघु स्मृतियों के अलौकिक संसार में.. जन्म ले लेती हैं.. अनेकों वर्जित कथाएं! आलिंगनबद्ध कर लेता है वर्तमान.. सहूलियत से..विलग आकृतियों को.. जीने लगता है मन पुनः अस्पृश्य भावनाओं के... Hindi · कविता 160 Share Rashmi Sanjay 16 Oct 2021 · 1 min read तुम्हारा प्रेम कभी नहीं चाहा था तुम्हें पकड़ना या कैद करना मैं चाहती थी .. कण-कण में समाहित हो जाओ तुम.. गुनगुनाओ.. जल की निश्छल बूॅंदों के साथ लिपट जाओ मेरे हर... Hindi · कविता 152 Share Rashmi Sanjay 16 Oct 2021 · 1 min read अपने लिये भी! ना गिरवी खुद को रखो तुम बचो अपने लिए भी कुछ गढ़ो अपनी अलग दुनिया जियो अपने लिये भी कुछ अगर तुम हो बिना मांझी उठा पतवार लो अपनी नैया... Hindi · कविता 281 Share Rashmi Sanjay 16 Oct 2021 · 1 min read नारी अनंत अश्रु-बूँदों से लेकर नेह का पूरा आसमान.. सहेजे रहती है ..अपने आँचल में! ज़िम्मेदारियों और आलोचनाओं का जबरन पहनाया गया लिबास, सहेजे रहती है संतुष्टि के साथ! जन्म लेती... Hindi · कविता 222 Share Rashmi Sanjay 16 Oct 2021 · 1 min read अरे माँ! अरे माँ ! सुनो ना, मेरे भी तो कुछ सपने हैं.. माना वो उम्र में मुझसे दुगुने हैं! पर मेरे मन की ज़मीन पर उगने हैं.. अरे माँ ! मुझे... Hindi · कविता 267 Share Rashmi Sanjay 16 Oct 2021 · 1 min read हाँ महिलाएं भी.. हाँ महिलाएं भी.. बहुत कुछ समझती हैं.. तुम्हारे शब्दों के चयन का भारीपन! या.. हल्की सी.. यूं ही ..वाली भाषा! तुम्हारे विचारों में अपनी परिभाषा.. हाँ महिलाएं ही.. कठिन समय... Hindi · कविता 163 Share Rashmi Sanjay 16 Oct 2021 · 1 min read ऑंगन चहक उठे थे पंछी घर के, तुलसी संग महका था ऑंगन। हंसी - ठिठोली, मान - मनव्वल में अपनों जैसा था ऑंगन। बरहा, छटठी और होली के गीतों पर ठुमका... Hindi · कविता 269 Share Rashmi Sanjay 28 Sep 2021 · 1 min read अम्मा स्वेटर में भाव समाहित कर रिश्ते बुनना जाने थीं तब ईंटे चुनकर अपना एक घर अम्मा गढ़ना जाने थीं तब अपने रुनझुन से ऑंगन में किलकारी भरते बचपन में मनमोहक... Hindi · कविता 2 3 217 Share Rashmi Sanjay 24 Sep 2021 · 1 min read अनूठा सपना थी शीतल हवा और प्रकृति का बिछौना । थीं सुधियां अनेकों तरल मन का कोना । वो बचपन जवानी के सपनो की गठरी । तनिक कड़ुवे अनुभव की बातें भी... Hindi · कविता 1 373 Share Rashmi Sanjay 21 Sep 2021 · 1 min read ये जो बच्चा है ये जो तल्लीनता से आसमान ताकता सा बच्चा है.. ये गुब्बारे बेच कर.. उड़ा देता है अपने भाव.. टांग देता है सभी को.. नीले बादलों की अरघनी में वहाॅं नहीं... Hindi · कविता 328 Share Rashmi Sanjay 14 Sep 2021 · 1 min read हिंदी पहला-पहला था शब्द सुना । माॅं ने हिन्दी को सदा चुना । जब कलम हाथ में आई थी । तब पृष्ठ पे हिन्दी छाई थी । तुतलाकर बोला प्रथम बार..... Hindi · कविता 217 Share Rashmi Sanjay 1 Aug 2021 · 1 min read पढ़-लिख निखरेगा बचपन! भोला मधुरिम रूप सत्य सा मनभावन बचपन बच्चों का जब जिम्मेदारी में खोता बालरूप बस सिसक के रोता सपने रोटी संग गुम जाते सूखे अधर नहीं हँस पाते ना बच्चे... Hindi · कविता · बाल कविता 2 353 Share Rashmi Sanjay 29 Jul 2021 · 1 min read मुझे पता है.. तुम्हें अच्छा लगता है! मुझे पता है .. तुम्हे अच्छा लगता है.. मेरा अपलक तुम्हे निहारते रहना! कनखियों से देखना, फिर नजरें चुराना बंद आँखों से देर तक, तुम्हें दुलराते रहना.. मुझे पता है... Hindi · कविता 2 1 594 Share Rashmi Sanjay 22 Jun 2021 · 1 min read 'साड़ी' बड़ी सहजता से एक मासूम सी साड़ी.. भरी–भरी आँखों के साथ, मेरी भावनाओं की तरह मखमली, नाजुक हिदायतों के साथ, माँ ने मेरी गोद में डाली.. सीखा.. मैंने हर परत... Hindi · कविता 2 6 233 Share Rashmi Sanjay 12 Jun 2021 · 1 min read 'काश न फिर अब बारिश आए' बूँद बूँद आँगन टपका है, घर का तम अब भय भरता है । झंझावातों संग आयी है, फिर बरसात प्रलय लायी है । फिर कितना कुछ बह जायेगा, मिट्टी का... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता · बाल कविता 6 8 525 Share Previous Page 2 Next