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10 Jan 2022 · 1 min read

साठ की पदचाप!

फिर से ना छेड़ो प्रिय
आयु की बात..
सुनने दो मुझको
साठ की पदचाप!

सुनते रहे अबतक
सबकी हर बात..
यादों के लम्हात..
उलझे बात बे बात..

चांदी भी सिमट आयी
बालों पे इक रात!
आने दो जाने दो
उम्र की क्या बात!

पर..
अब तक ना छाई है
सपनों पर रात..
झिलमिल नैनो से
बहते जज्बात!

बारीक सी थी
शिकवों की पुड़िया
आतुर उम्मीदो संग
गुम सी इक गुड़िया

दायित्वों मे दब गये
सोने से ख्वाब
सुनने दो मुझको
साठ की पदचाप!

कुछ गुनगुनाऊँ आ
तुझको सजाऊँ
बेला चमेली ला
घर को लुभाऊं

बाहों मे पाऊं
पुरानी सौगात
हौले से खोलूं
मन की कोई गांठ

फिर से ना छेड़ो प्रिय
आयु की बात..
सुनने दो मुझको
साठ की पदचाप!

स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 299 Views
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