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29 Dec 2021 · 1 min read

‘अंगना’

घने दरख्तों साथ जुड़ा था, कोने कोने से घर अंगना।

छोटा था, पर, जगह बड़ी थी, इठलाता था अक्सर अंगना।।

रंगबिरंगी चौक पूरती, सर ढाॅंपे था अक्सर अंगना।

नृत्य, भजन, सत्संग, बधाई, ख़ूब सजाता जी भर अंगना।।

पास – पड़ोसन संग अम्मा की, बैठक को था तत्पर अंगना।

नन्हे बच्चे ठुमक-ठुमक कर, चलना सीखे, छू कर अंगना।।

रहा बांटता खुशियां सबको, अपनी गोदी में भर अंगना।

कुछ तेरा था, कुछ था मेरा, साझे जैसा था घर-अंगना।।

देहरी को पुचकारे रहता रजनीगंधा भर कर अंगना।

दोहराता है भूली बातें, अब यादों में आ कर अंगना।।

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 447 Views
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