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26 May 2024 · 1 min read

*मैं और मेरी चाय*

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मैं और मेरी चाय करते हैं ,बहुत सी बातें अक्सर।
इसके हरेक घूँट से,चित्त हो जाता है तर-ब-तर।

ये जो मुझमें मिठास है,खुशबू है,जो जायका है,
तुम भी अपनी माधुरता,ना होने देना कम-तर।

ये जो तुम्हारा उत्साह मेरे लिए,सदा बना रहता है,
तुम ऐसे ही स्फूर्तिवान बन के जीना जी भरकर।

देखो !मैं उबल कर फिर से शांत हो जाती हूं,
तुम स्थिरता रखना और बनना कुंदन तप कर।

ये जो हमारे बीच एक मधुर सा दृढ़ रिश्ता है,
तुम रिश्तों को समझना और निभाना उम्र भर।
____________________________________

सुधीर कुमार
सरहिंद फतेहगढ़ साहिब पंजाब।

Language: Hindi
31 Views
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