कुत्ते / MUSAFIR BAITHA
कुत्ते
यदि पालतू नहीं हैं
नस्ल विशेष के नहीं हैं
तो हिंसक नहीं होते
काट नहीं खाते
मालिकों के आगे वे
दुमहिलाऊ होते हैं
शीशनवाऊ होते हैं
अनजानों को देख स्वामिभक्ति में
करते झाऊँ झाऊँ होते हैं
आवारा हो या पालतू
पागल कुत्ते ही
काट खाने के स्वभाव पर होते हैं
मौलिक कुत्त-स्वभाव पर नहीं होते वे!
कुत्ता होना
स्वामिभक्त होकर भी गाली हो गया
भक्ति बेईमान होती है
विभीषण भी राम का सारथी होकर भक्तों की बेईमानी का शिकार बना।
सायलेंट किलर :
बेटा होने पर थाली बजती थी।
कोरोना-प्रकोप पर थाली बज रही है।
थाली बजाने का संस्कार हिन्दू है, मर्दाना है।
इस आयातित मर्दाना संस्कार को प्रक्षिप्त कर साहब ने कोरोना पर ठोंका है।
मगर, भारतीय (हिन्दू) संस्कृति में अपने जन्म के समय
थाली बजना पाने से वंचित बेटियाँ भी थाली पीट गयी हैं।
ऐसे ही फैलता है जहर, और, सहज ही पीते जाते हैं हम जहर!