महेश चन्द्र त्रिपाठी Language: Hindi 148 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 महेश चन्द्र त्रिपाठी 3 Jul 2023 · 1 min read कल पर कोई काम न टालें बदल गए अब ढंग प्रसव के अब न पुजायी जाती पाटी। संस्कार सम्बोधन बदले बदल गई युग की परिपाटी।। बदले खेल, खिलौने बदले बदल गए रंजन के साधन। बदल गई... Hindi · कविता 171 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 1 Jul 2023 · 1 min read फितरत कभी न बदला करती फितरत कभी न बदला करती, नर हो अथवा नारी चोरी भले न करे चोर पर, करता लउकाटारी सन्त सन्तई नहीं त्यागते, परहित में रत रहते कभी किसी को सपने में... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 186 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 1 Jul 2023 · 1 min read बदल गई मेरी फितरत बदल गई मेरी फितरत अब, मुझमें अब न बुराई है घनीभूत होती जाती अब, जीवन में अच्छाई है मेरी काया हुई कुंदनी, रोग न मुझे सताते अब भाॅंति-भाॅंति के सद्विचार... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 114 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 25 Jun 2023 · 1 min read हमें प्रदान करें आनन्द हम समृद्धि के याचक कब थे रचे अकिंचन रहकर छन्द हमें अमरता नहीं चाहिए हमें प्रदान करें आनन्द * हे प्रभु! हम मिट्टी के पुतले वह्नि उदर में करती वास... Hindi · गीत 1 118 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 24 Jun 2023 · 1 min read हॅंसना है जीवन की धड़कन हँसने से हुलसित होता मन हँसना है जीवन की धड़कन हँसी ज्ञान है, हँसी ध्यान है जो हँसता, सचमुच महान है हँसने से सम्भव है होना रोगमुक्त हम सबका तन-मन... Hindi · गीत 254 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 23 Jun 2023 · 1 min read बारिश की संध्या बारिश की संध्या मदमाती आती प्राणों को मथ जाती रिमझिम रिमझिम झरता पानी करता संध्या की अगवानी लौ सॅंझवाती के दीपक की अन्तस में ज्वाला सुलगाती गूॅंजती हवा में स्वर... Hindi · गीत 1 301 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 20 Jun 2023 · 1 min read याद पिता की याद पिता की कभी न जाती सदा साथ रह हिय हुलसाती घर में रहूँ या रहूँ बाहर उनकी सुस्मृति साथ निभाती उनकी ही प्रेरणा निरन्तर मुझसे काव्य-सृजन करवाती सुख में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 162 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 16 Jun 2023 · 1 min read जन्नत मुझको नहीं चाहिए छोटी-मोटी पीड़ाएं मैं प्रेमपूर्वक सह लूंगा दोजख मुझको घर-सा होगा उसमें भी मैं रह लूंगा * जन्नत मुझको नहीं चाहिए न ही बहत्तर हूरें ही जो बारी-बारी से मुझ पर... Hindi · गीत 268 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 13 Jun 2023 · 1 min read महानगर की पहचान महानगर के पास न मन है न ही मनोविज्ञान संवेदनशून्यता बन गई है इसकी पहचान महानगर का हर मनुष्य ज्यों मूल्यवान रोबोट तना तनावों में रहता वह परिजन करते चोट... Hindi · गीत 215 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 13 Jun 2023 · 1 min read माना अपनी पहुंच नहीं है माना अपनी पहुंच नहीं है आसमान के तारों तक पर हम उन्हें निहारा करते आंखें गड़ा-गड़ा एकटक आंखों में उन्नति के सपने तारों से कब कम होते बेहतर कल के... Hindi · गीत 226 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 11 Jun 2023 · 1 min read ढाई आखर बेमानी उतर गया समाज का पानी तब ढाई आखर बेमानी * सच्चा प्रेम विलुप्तप्राय है प्रेमपत्र अब लिखे न जाते इलू-इलू के चक्कर में पड़ अच्छे-अच्छे चक्कर खाते आभासी हर प्रेम... Hindi · गीत 170 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 7 Jun 2023 · 1 min read ऐसे भाव भर दिए तुमने ऐसे भाव भर दिए तुमने, हर पीड़ा मधुमय लगती है। सहता हूॅं ठोकरें अहर्निश लेकिन आह नहीं भरता हूॅं मैं शूलों को फूल मानकर राहें नई रचा करता हूॅं जन्मा... Hindi · गीत 189 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 6 Jun 2023 · 1 min read हवा हुए वे दिन बचपन के हवा हुए वे दिन बचपन के जब अजिया भाॅंती थीं माठा अम्मा देतीं सेंक पराॅंठा यही नाश्ता करते थे नित और गाॅंव में थे हम अविजित हम माहिर थे अपने... Hindi · गीत 2 4 210 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 6 Jun 2023 · 1 min read गंगा केवल नदी नहीं है गंगा केवल नदी नहीं है, यह है जीवन धारा अविरल निर्मल मां गंगा हो, यह कर्तव्य हमारा पूजनीय यह रही हमेशा, अमृत इसका जल है प्रवहमान जब तक मां गंगा,... Hindi · गीत 1 2 297 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 6 Jun 2023 · 1 min read हे वृक्ष देवता ! नमस्कार हे वृक्ष देवता ! नमस्कार है प्राणि-मात्र से तुम्हें प्यार तुम हो जग के जीवन-दाता तुमसे जग प्राण-वायु पाता तुम ही आहार जुटाते हो तुम हो पावस के सूत्रधार तुम... Hindi · गीत 1 238 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 1 Jun 2023 · 1 min read संघर्षों के बीच कवि संघर्षों के बीच जहां कवि, पिछड़ दूसरों से जाता कुंठित होती कीर्ति कामना, मन मलीन हो अकुलाता नींद नहीं आती है निशि में, बेहद बढ़ती बेचैनी याद बहुत आने लगते... Hindi · गीत 269 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 25 May 2023 · 1 min read आओ पर्यावरण बचाएं जीवन को खुशहाल बनाएँ आओ पर्यावरण बचाएँ नदियों को कल-कल बहने दें खग-कुल को कुल-कुल कहने दें अभयदान दें वन-पशुओं को निर्भय जंगल में रहने दें पापी हैं यदि उन्हें... Poetry Writing Challenge · गीत 2 216 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 25 May 2023 · 1 min read संसार स्वार्थ की रंगभूमि संसार स्वार्थ की रंगभूमि, इसमें न रंच संशय है। जो सुनते हैं नेपथ्य कथन, होती उनकी जय-जय है।। कोई करता अविरल विलाप, कोई उल्लास मनाता। कोई रो-रो कर हॅंसता है,... Poetry Writing Challenge · गीत 1 363 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 25 May 2023 · 2 min read कविता कविता दिखती है कविता कवि की कलम पकड़कर, खुद को लिखती है। तब ही, केवल तब ही, कविता, कविता दिखती है।। कविता कवि के धर्म-कर्म में, जीवन में होती। कविता कवि के साथ-साथ... Poetry Writing Challenge · गीत 1 359 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 25 May 2023 · 1 min read आने वाला आएगा आने वाला आएगा ही, जाने वाला जाएगा। कोई रोक न सका किसी को, कोई रोक न पाएगा।। जो जाने वाला है उसकी, हॅंसकर करें विदाई हम। आने वाले का स्वागत... Poetry Writing Challenge · गीत 1 160 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 25 May 2023 · 1 min read गुरुओं की अकड़ निकालें आओ हम ज्ञानी गुरुओं की, गुरुतर अकड़ निकालें भाॅंति भाॅंति के प्रश्न निरन्तर, 'उन'की ओर उछालें पूछें उनसे दशा देश की, कैसे उन्नत होगी जनता आफत आने पर भी, रंच... Poetry Writing Challenge · गीत 1 234 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 24 May 2023 · 1 min read भुने बीज से पेड़ न उगता भुने बीज से पेड़ न उगता, बीज स्वयं मिट जाता है। कर्म नष्ट होते ज्ञानी के, वह न कर्मफल पाता है।। जैसे कमलपत्र पर पानी, पाता है ठहराव नहीं। ज्ञानवान... Poetry Writing Challenge · गीत 2 2 245 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 24 May 2023 · 1 min read नित्य ईश की सत्ता है यह दुनिया दुखमय अनित्य है, नित्य ईंश की सत्ता है। उसकी इच्छा बिना न हिलता, तरु का कोई पत्ता है।। उसको जहाॅं बुलाओ आता, वह समीप है दूर वही। वह... Poetry Writing Challenge · गीत 1 213 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 24 May 2023 · 1 min read अम्बे का जयकारा सारे जग की जननी को है, अर्पित नमन हमारा। जी करता है आज लगाऊं, अम्बे का जयकारा।। माॅं से अधिक न कोई जाने, क्या शिशु की अभिलाषा। माॅं ही पूरी... Poetry Writing Challenge · गीत 1 167 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 23 May 2023 · 1 min read लड़ना है तो लड़ें सिंह से लड़ना है तो लड़ें सिंह से, बकरे से क्या लड़ना एक बार मरना निश्चित है, बार-बार क्यों मरना बकरे की माॅं खैर मनाती, मगर न बकरा बचता सबल सिंह की... Poetry Writing Challenge · गीत 1 298 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 23 May 2023 · 1 min read नेता नहीं नराधम वे नेता नहीं, नराधम हैं, जो फैलाते हैं वाग्जाल हे आम आदमी! हुंकारो, बन नेताओं के अरि कराल जो कहते कुछ, करते हैं कुछ, जनता को मूर्ख बनाते हैं सबका... Poetry Writing Challenge · गीत 171 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 22 May 2023 · 1 min read अपने मुॅंह मिठ्ठू बनते अपने मुँह मिठ्ठू बनते सब चहुँदिशि पट्टू करते शोर आज अनय की आँधी सबको त्रास दे रही है घनघोर मीरा - कृष्ण सरीखे रिश्ते कलियुग में बेमानी हैं शकुनी और... Poetry Writing Challenge · गीत 197 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 21 May 2023 · 1 min read इन्द्रप्रस्थ में... तंदूर इंद्रप्रस्थ में जगह-जगह पर धधक रहे तंदूर संसद में तंदूर लोभ का राजनीति धधकती भून वायदे, आश्वासन का अविरल धुआं उठाती साक्षी है जनता - जनार्दन रुग्ण व्यथित मजबूर इंद्रप्रस्थ... Poetry Writing Challenge · गीत 256 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 20 May 2023 · 1 min read आत्मबली हैं हम आत्मबली हैं हम हमसे, हर महाशक्ति है हारी। हम धरती के पुष्प अनूठे, सुरभि हमारी न्यारी।। पंख कल्पना के पाकर हम, दूर - दूर तक उड़ते। दृष्टि लक्ष्य पर रहती... Poetry Writing Challenge · गीत 1 205 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 May 2023 · 1 min read तुम कहो तो... तुम कहो तो आज मधुमय, गीत गाऊॅं। तुम कहो तो मैं तुम्हारे, पास आऊॅं ।। कुंदनी काया सुचिक्कण, में विचर लूॅं। प्रीति अभ्यंजन करे मैं, पीर हर लूॅं।। तुम कहो... Poetry Writing Challenge · गीत 146 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 May 2023 · 1 min read आओ चलें साधना पथ पर आओ चलें साधना पथ पर, करें न हम केवल बातें। दिन सुहावने आते ही हैं, भले दीर्घतर हों रातें।। इस शरीर रूपी स्यन्दन में, अश्व इन्द्रियों को मानें। मन की... Poetry Writing Challenge · गीत 238 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 May 2023 · 1 min read प्रेम चढ़ा करता परवान पारस्परिक प्रयत्नों से ही, प्रेम चढ़ा करता परवान। कोशिश कशिश एकतरफा तो, बनती उन्नति में व्यवधान।। मजा प्रेम में तब ही है जब, आग लगी हो दोनों ओर। दोनों के... Poetry Writing Challenge · गीत 361 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 May 2023 · 1 min read कविता के साथ जिया कल मैंने कविता नहीं लिखी, कल मैं कविता के साथ जिया। अमरूद चन्द तोड़े, खाए, छप्पर से तोड़ी कई घिया ।। घूमता रहा खेतों - खेतों, अगणित पौधों से भेंट... Poetry Writing Challenge · गीत 161 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 May 2023 · 1 min read आओ बनें शब्द के साधक सब कुछ व्यक्त नहीं कर पाती, खामोशी की भाषा। सदा अपूरित ही रहती है, अंतस की अभिलाषा।। तब ही शब्द काम आते हैं, कहते जो कह पाते। सब कुछ मगर... Poetry Writing Challenge · गीत 1 2 311 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 May 2023 · 1 min read अपने राम सहारे बहा ले गई नदी काल की , मेरे कपड़े सारे। मैं निर्वस्त्र खड़ा था तट पर अपने राम सहारे।। कृपा राम की हुई, राम ने आकर वस्त्र पिन्हाए। वस्त्र पहनकर... Poetry Writing Challenge · गीत 215 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 May 2023 · 1 min read सुधियों के शूल मदमाते मौसम में सुधियों के शूल तन रूपी तरुवर की हिल जाती मूल पायल के बजते ही पीड़ा का ताप बढ़ता, तब क्या कोई पाता है माप पलकों की टहनी... Poetry Writing Challenge · गीत 202 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 May 2023 · 1 min read प्यार में पागल हुआ स्वप्न में दर्शन दिए, मन को लुभाया तब तुम्हारे प्यार में पागल हुआ मन भावना के सिन्धु में जब ज्वार आया संतरण करती रही दिन-रात काया तोड़कर तटबंध जब नव... Poetry Writing Challenge · गीत 306 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 May 2023 · 1 min read फास्ट फूड फौरन दें त्याग फास्ट फूड से फास्ट न बनते, बच्चे बनते हैं बलहीन। रोग अनेक घेर लेते हैं, हो जाती है कान्ति मलीन।। माता - पिता घूमने जाते, जंक फूड ले जाते साथ।... Poetry Writing Challenge · गीत 233 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 May 2023 · 1 min read खायी जीवन में नहीं मात छोटे मुॅंह से यह बड़ी बात खायी जीवन में नहीं मात अपमानित कैसे होता जब चाहा न किसी से कभी मान अपमान मान से ऊपर उठ जीता आया अब तक... Poetry Writing Challenge · गीत 219 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 18 May 2023 · 1 min read स्वयं को प्रभु के करें हवाले अहंकार को त्याग स्वयं को, प्रभु के करें हवाले। बिना लगाए भोग ईश को, ग्रहण न करें निवाले।। पकड़ें शरण इष्ट की अपने, सारी चिन्ता त्यागें। भूल-चूक के लिए हृदय... Poetry Writing Challenge · गीत 280 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 18 May 2023 · 1 min read कवि नहीं मरता कभी अब प्रलय की आंधियों से, कवि निडर लड़ता रहेगा। अब तिमिर की आंख में कवि, दीप बन गड़ता रहेगा।। पतवार हिम्मत की पकड़, खेता रहेगा नाव कवि। संकट विकट कट... Poetry Writing Challenge · गीत 145 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 18 May 2023 · 1 min read चाॅंदी के जूते को प्रणाम चाॅंदी के जूते को प्रणाम चाॅंदी का जूता चार धाम चमड़े के जूते से बढ़कर चाॅंदी का जूता करे काम * जब अस्पताल में चलता है अच्छा इलाज तब मिलता... Poetry Writing Challenge · गीत 166 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 18 May 2023 · 1 min read दिल्ली मुझसे बहुत दूर है मैं दिल्ली से दूर नहीं, पर, दिल्ली मुझसे बहुत दूर है। समझ नहीं पाता मैं इसमें मेरा अपना क्या कसूर है।। देख रहा हूँ बहुत समय से जो दिल्ली आता... Poetry Writing Challenge · गीत 150 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 18 May 2023 · 2 min read खाली पेट युद्ध लड़ते जो जिनके पेट भरे होते हैं, वे लड़ सकते नहीं लड़ाई खाली पेट युद्ध लड़ते जो, मात न कभी उन्होंने खायी काम नहीं आती हैं बातें, आग युद्ध में विजय दिलाती... Poetry Writing Challenge · गीत 314 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 18 May 2023 · 1 min read अब मेरे गाॅंव में अमीरों का शासन है अब मेरे गाॅंव में लगते यहाॅं मेले अब वर्दी की छाॅंव में कभी स्याह रात कभी धूप निकल आती है कभी रौद्र गर्जन सुन छाती फट... Poetry Writing Challenge · गीत 296 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 18 May 2023 · 1 min read मंत्री के चमचा हैं चाचा मंत्री के चमचा हैं चाचा। झड़प कलक्टर को देते हैं काम कमिश्नर से लेते हैं एसपी करे बदतमीजी तो वे सकते हैं मार तमाचा। मंत्री के चमचा हैं चाचा। हर... Poetry Writing Challenge · गीत 251 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 1 Dec 2018 · 1 min read प्रजातंत्र सब्जी मंडी में चाहे चुनो सड़ा आलू तुम या मिट्टी का गोभी चुनो प्लास्टिक का बैंगन या मटर रबड़ की तो भी चयन किसी का किसी दशा में होगा सही, असम्भव कोई ऐसा... Hindi · कविता 2 591 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 29 Nov 2018 · 1 min read माँ माँ जीती सन्तान के लिए और मृत्यु को होती प्राप्त । जब तक जीती उसके मन में वात्सल्य रहता है व्याप्त ।। माँ की ममता, वात्सल्य की कद्र न करती... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 22 457 Share Previous Page 3