Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2023 · 1 min read

अपने राम सहारे

बहा ले गई नदी काल की , मेरे कपड़े सारे।
मैं निर्वस्त्र खड़ा था तट पर अपने राम सहारे।।

कृपा राम की हुई, राम ने आकर वस्त्र पिन्हाए।
वस्त्र पहनकर प्रभु-प्रशस्ति में मैंने गीत बनाए।।
अन्त नहीं प्रभु की प्रभुता का, सबको वही उबारे।
बहा ले गई नदी काल की, मेरे कपड़े सारे।।

राम सभी को वस्त्र पिन्हाते, देते भोजन – पानी।
राम राम रटते रहते हैं, मानी – ज्ञानी – ध्यानी।।
राम, नाथ हैं सारे जग के, जन-जन यही उचारे।
बहा ले गई नदी काल की, मेरे कपड़े सारे।।

वे दुखहर्ता, सुखकर्ता हैं, सब जग उनको ध्याता।
उनकी अनुकम्पा से मानव मनवांछित फल पाता।।
अब तक अपने सब भक्तों के सारे कष्ट निवारे।
बहा ले गई नदी काल की मेरे कपड़े सारे।।

जोड़े रखो राम से नाता, मिथ्या सारे नाते।
जो दुख देते रामभक्त को, करनी का फल पाते।।
सारे शत्रु राम के वश में, उन्हें कौन ललकारे?
बहा ले गई नदी काल की, मेरे कपड़े सारे।।

राम सृष्टि के सूत्रधार हैं, सपने वही दिखाते।
वे सपने में नदी किनारे, हैं निर्वस्त्र बनाते।।
खुद आते कपड़े पहनाने, बन आंखों के तारे।
बहा ले गई नदी काल की, मेरे कपड़े सारे।।

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
Tag: गीत
192 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महेश चन्द्र त्रिपाठी
View all
You may also like:
क्रोध
क्रोध
लक्ष्मी सिंह
कैसी
कैसी
manjula chauhan
तुम्हें लगता है, मैं धोखेबाज हूँ ।
तुम्हें लगता है, मैं धोखेबाज हूँ ।
Dr. Man Mohan Krishna
हिन्दी पर नाज है !
हिन्दी पर नाज है !
Om Prakash Nautiyal
फिर  किसे  के  हिज्र  में खुदकुशी कर ले ।
फिर किसे के हिज्र में खुदकुशी कर ले ।
himanshu mittra
हुनर
हुनर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
गजल
गजल
Punam Pande
गम खास होते हैं
गम खास होते हैं
ruby kumari
रोशनी सूरज की कम क्यूँ हो रही है।
रोशनी सूरज की कम क्यूँ हो रही है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
दो शब्द
दो शब्द
Ravi Prakash
मेरा शरीर और मैं
मेरा शरीर और मैं
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तू सच में एक दिन लौट आएगी मुझे मालूम न था…
तू सच में एक दिन लौट आएगी मुझे मालूम न था…
Anand Kumar
बाल कविता: तितली रानी चली विद्यालय
बाल कविता: तितली रानी चली विद्यालय
Rajesh Kumar Arjun
जीवनदायिनी बैनगंगा
जीवनदायिनी बैनगंगा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
कवि दीपक बवेजा
आड़ी तिरछी पंक्तियों को मान मिल गया,
आड़ी तिरछी पंक्तियों को मान मिल गया,
Satish Srijan
सजाता कौन
सजाता कौन
surenderpal vaidya
"ज्वाला
भरत कुमार सोलंकी
"खाली हाथ"
इंजी. संजय श्रीवास्तव
3291.*पूर्णिका*
3291.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वक़्त के वो निशाँ है
वक़्त के वो निशाँ है
Atul "Krishn"
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
नफ़्स
नफ़्स
निकेश कुमार ठाकुर
*Lesser expectations*
*Lesser expectations*
Poonam Matia
दोहा- सरस्वती
दोहा- सरस्वती
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
#ग़ज़ल / #कुछ_दिन
#ग़ज़ल / #कुछ_दिन
*प्रणय प्रभात*
शांति के लिए अगर अन्तिम विकल्प झुकना
शांति के लिए अगर अन्तिम विकल्प झुकना
Paras Nath Jha
बड़ी मादक होती है ब्रज की होली
बड़ी मादक होती है ब्रज की होली
कवि रमेशराज
कभी ना होना तू निराश, कभी ना होना तू उदास
कभी ना होना तू निराश, कभी ना होना तू उदास
gurudeenverma198
खेत का सांड
खेत का सांड
आनन्द मिश्र
Loading...