Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Dec 2023 · 2 min read

खेत का सांड

लहलहाए फसलों को
जब चरते हो
देख कर
देखते ही रहना चाहता हूं
बहुत देर तक ।

हजारों वर्ष बाद !
नाथी, पगहा, जुआठा
से मुक्त
हरे खेतों में
फ़ैल कर
तुम्हारा चरना
जैसे,
घुड़सवार सेना
दस्तक दे चुकी हो
किसी रणभूमि में

जब भी,
ओआंय्य, ओआंय्य, ओआंय्य
करके आवाज देता हूं
तुम अपने नथुनों को फुलाकर
फ्फूं,फ्फूं,फ्फूं, फ्फूं, फ्फूं
करके तमतमा जाते हो
और चल पड़ते हो
अपनी नथुनों को नीचे दबाए और सींग,
जोड़ा भाले की तरह
तानकर,
मैं डर जाता हूं!

क्या अब, चर डालोगे
पूरी फसलों को
उखाड़ दोगे
उनकी जड़ों को,
पलटहवा हल से
और फिर चलाओगे
पाटा
किसी नए
घुड़सवार के लिए ?

क्या बाऊ जी के बातों से
नाराज़ हो,
“खटि – खटि- मरैं बहेतरा
बैठे खांय तुरंग”
अब तो कहीं
तुरंग नहीं खाता
बैठ कर
अब तो, वह भी खींचता है
दूल्हे की बघ्घी
ढोता है
ईंट ।

फिर क्यों,
नाराज़ होकर
बिना डिल्ल वाले
विदेशी
जर्सी और फ्रिसिएन
के साथ
चर जाना चाहते हो
सब कुछ ?

उनके पुरखे तो, कभी नहीं चले
हल, चक्की, कोल्हू, रहट, दौंरी और पाटा !
बेड़े में
बंधी गयों का खाया चारा,
किया तंग
बाछी और बाछों को
बदल दिया
उनकी नस्ल को ।

क्या भूल गए,
तुम जब पीपल के नीचे
बैठे होते थे
तेजी – तेजी से बुलाते थे,
गर्दन हिला कर
और अपनी दरबरी जीभ से
चाट के , सपाट कर देते थे मेरे
सिर के बलों को,
किसी गिलहरी की तरह,
तुम्हारे चोट पर
मैं ही तो रखता था,
घी का फा़हा !

आओ
लौट आओ
फिर लहलहाएगी खेती
महकेगा बगीचा
पहले की तरह ।

~आनन्द मिश्र

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 197 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" बंध खोले जाए मौसम "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
आज का रावण
आज का रावण
Sanjay ' शून्य'
2402.पूर्णिका
2402.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
गुरु चरण
गुरु चरण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कहानी ....
कहानी ....
sushil sarna
मित्र कौन है??
मित्र कौन है??
Ankita Patel
तुमको ख़त में क्या लिखूं..?
तुमको ख़त में क्या लिखूं..?
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*****सबके मन मे राम *****
*****सबके मन मे राम *****
Kavita Chouhan
जिंदगी एक किराये का घर है।
जिंदगी एक किराये का घर है।
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
तज द्वेष
तज द्वेष
Neelam Sharma
चिराग को जला रोशनी में, हँसते हैं लोग यहाँ पर।
चिराग को जला रोशनी में, हँसते हैं लोग यहाँ पर।
आर.एस. 'प्रीतम'
साँझ ढले ही आ बसा, पलकों में अज्ञात।
साँझ ढले ही आ बसा, पलकों में अज्ञात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बिंदी
बिंदी
Satish Srijan
समस्त वंदनीय, अभिनन्दनीय मातृशक्ति को अखंड सौभाग्य के प्रतीक
समस्त वंदनीय, अभिनन्दनीय मातृशक्ति को अखंड सौभाग्य के प्रतीक
*Author प्रणय प्रभात*
दुल्हन जब तुमको मैं, अपनी बनाऊंगा
दुल्हन जब तुमको मैं, अपनी बनाऊंगा
gurudeenverma198
संस्कृत के आँचल की बेटी
संस्कृत के आँचल की बेटी
Er.Navaneet R Shandily
बर्दाश्त की हद
बर्दाश्त की हद
Shekhar Chandra Mitra
🌹पत्नी🌹
🌹पत्नी🌹
Dr Shweta sood
उम्र का लिहाज
उम्र का लिहाज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
पहले दिन स्कूल (बाल कविता)
पहले दिन स्कूल (बाल कविता)
Ravi Prakash
वृद्धाश्रम में कुत्ता / by AFROZ ALAM
वृद्धाश्रम में कुत्ता / by AFROZ ALAM
Dr MusafiR BaithA
* शक्ति आराधना *
* शक्ति आराधना *
surenderpal vaidya
****प्राणप्रिया****
****प्राणप्रिया****
Awadhesh Kumar Singh
हिन्दी दोहा-विश्वास
हिन्दी दोहा-विश्वास
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
क्या रखा है? वार में,
क्या रखा है? वार में,
Dushyant Kumar
"करिए ऐसे वार"
Dr. Kishan tandon kranti
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Dr Archana Gupta
* बाल विवाह मुक्त भारत *
* बाल विवाह मुक्त भारत *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अगनित अभिलाषा
अगनित अभिलाषा
Dr. Meenakshi Sharma
वर्षा ऋतु के बाद
वर्षा ऋतु के बाद
लक्ष्मी सिंह
Loading...