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19 May 2023 · 1 min read

सुधियों के शूल

मदमाते मौसम में सुधियों के शूल
तन रूपी तरुवर की हिल जाती मूल

पायल के बजते ही पीड़ा का ताप
बढ़ता, तब क्या कोई पाता है माप
पलकों की टहनी पर आंसू के फूल
तन रूपी तरुवर की हिल जाती मूल

मिट्टी की हॅंड़िया में दिल को कर कैद
जिस्म की जुन्हाई में घुमा रहे बैद
चमड़ी के चक्कर में पथ जाते भूल
तन रूपी तरुवर की हिल जाती मूल

हसरत के धागे पर बीते दिन – रैन
पुनः पुनः प्रीति करे पाहुन बेचैन
पायल प्रभाती को देती नहीं तूल
तन रूपी तरुवर की हिल जाती मूल

कायनात कुदरत की बरसाती नेह
धरती पर धीरे से धर देती देह
सपने को मिल जाता है कोई कूल
तन रूपी तरुवर की हिल जाती मूल

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
Tag: गीत
185 Views
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