Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2024 · 1 min read

” ज़ख़्मीं पंख‌ “

रोक देते हैं, ज़ख़्मीं पंख‌ परिंदों के सफ़र
क़ैद में ज़िन्दगी ढाहो ना इतना भी कहर

घरौंदे आँधियां तोड़ें यूं दरख्तों से कर जबर
गुस्ताखियों की बस्ती में उलझा रहा भंवर
क़ैद में……………………………………..

आंखें भरी-भरी लगें,चेहरा उदासियों का शहर
ज़ीना भी बोझ लगे, ज़हर ये आठो पहर
क़ैद में………………………………………

आह निकले भी तो, वो जाए तो जाए किधर
रोक लेती हैं ये दीवारें, सिसकियों की डगर
क़ैद में……………………………………..

नयन अश़्कों से भर जाए,बहे जैसे हो नहर
दर्द दिल में ना हो इतना कि वो जाए ठहर
क़ैद में………………………………………

ये बर्बादियों की आँधियां, ढाहेंगी कितने घर
क़ैद-ए-आगोश से “चुन्नू” रख इन‌ पर तु नज़र
क़ैद में……………………………………….

•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ (उ.प्र.)

113 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
न पाने का गम अक्सर होता है
न पाने का गम अक्सर होता है
Kushal Patel
बनारस
बनारस
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
रंग जीवन के
रंग जीवन के
kumar Deepak "Mani"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"फितरत"
Ekta chitrangini
तू तो होगी नहीं....!!!
तू तो होगी नहीं....!!!
Kanchan Khanna
राष्ट्रीय गणित दिवस
राष्ट्रीय गणित दिवस
Tushar Jagawat
*मेरे मम्मी पापा*
*मेरे मम्मी पापा*
Dushyant Kumar
देकर हुनर कलम का,
देकर हुनर कलम का,
Satish Srijan
*जो भी अच्छे काम करेगा, कलियुग में पछताएगा (हिंदी गजल)*
*जो भी अच्छे काम करेगा, कलियुग में पछताएगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
3306.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3306.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
*मंज़िल पथिक और माध्यम*
*मंज़िल पथिक और माध्यम*
Lokesh Singh
रमेशराज के कुण्डलिया छंद
रमेशराज के कुण्डलिया छंद
कवि रमेशराज
क्यूँ इतना झूठ बोलते हैं लोग
क्यूँ इतना झूठ बोलते हैं लोग
shabina. Naaz
दौड़ी जाती जिंदगी,
दौड़ी जाती जिंदगी,
sushil sarna
आज होगा नहीं तो कल होगा
आज होगा नहीं तो कल होगा
Shweta Soni
संवेदनहीनता
संवेदनहीनता
संजीव शुक्ल 'सचिन'
क्षितिज
क्षितिज
Dhriti Mishra
ड्यूटी और संतुष्टि
ड्यूटी और संतुष्टि
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चलती है जिन्दगी
चलती है जिन्दगी
डॉ. शिव लहरी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
ना मंजिल की कमी होती है और ना जिन्दगी छोटी होती है
ना मंजिल की कमी होती है और ना जिन्दगी छोटी होती है
शेखर सिंह
आजकल के लोगों के रिश्तों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करता है।
आजकल के लोगों के रिश्तों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करता है।
पूर्वार्थ
गुमनामी ओढ़ लेती है वो लड़की
गुमनामी ओढ़ लेती है वो लड़की
Satyaveer vaishnav
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
गर जानना चाहते हो
गर जानना चाहते हो
SATPAL CHAUHAN
"बेमानी"
Dr. Kishan tandon kranti
उसकी सुनाई हर कविता
उसकी सुनाई हर कविता
हिमांशु Kulshrestha
आवाज़ ज़रूरी नहीं,
आवाज़ ज़रूरी नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
भूल गया कैसे तू हमको
भूल गया कैसे तू हमको
gurudeenverma198
Loading...