Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Apr 2024 · 1 min read

3306.⚘ *पूर्णिका* ⚘

3306.⚘ पूर्णिका
🌹 जरूरत तुम्हें भी है🌹
122 1222
जरूरत तुम्हें भी है ।
जरूरत हमें भी है ।।
जरा जिंदगी देखो ।
इबादत हमें भी है ।।
हसीन नजरें तेरी।
मुहब्बतें हमें भी है ।।
वफा में वफाई का ।
सदाकत हमें भी है ।।
हकीकत यहाँ खेदू।
रफाकत हमें भी है ।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती “सत्येश “
23-04-2024मंगलवार

13 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन को
जीवन को
Dr fauzia Naseem shad
हाँ मैन मुर्ख हु
हाँ मैन मुर्ख हु
भरत कुमार सोलंकी
जिंदगी एक किराये का घर है।
जिंदगी एक किराये का घर है।
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
मांँ ...….....एक सच है
मांँ ...….....एक सच है
Neeraj Agarwal
हिन्दी में ग़ज़ल की औसत शक़्ल? +रमेशराज
हिन्दी में ग़ज़ल की औसत शक़्ल? +रमेशराज
कवि रमेशराज
13, हिन्दी- दिवस
13, हिन्दी- दिवस
Dr Shweta sood
हुई नैन की नैन से,
हुई नैन की नैन से,
sushil sarna
बड़ी सी इस दुनिया में
बड़ी सी इस दुनिया में
पूर्वार्थ
छोड़ जाते नही पास आते अगर
छोड़ जाते नही पास आते अगर
कृष्णकांत गुर्जर
छुपा रखा है।
छुपा रखा है।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
एक नेता
एक नेता
पंकज कुमार कर्ण
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
2599.पूर्णिका
2599.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बचपन की सुनहरी यादें.....
बचपन की सुनहरी यादें.....
Awadhesh Kumar Singh
दुनिया की आख़िरी उम्मीद हैं बुद्ध
दुनिया की आख़िरी उम्मीद हैं बुद्ध
Shekhar Chandra Mitra
नदी
नदी
नूरफातिमा खातून नूरी
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
Rj Anand Prajapati
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
Umender kumar
■ ज़रूरत है बहाने की। करेंगे वही जो करना है।।
■ ज़रूरत है बहाने की। करेंगे वही जो करना है।।
*Author प्रणय प्रभात*
खुदगर्ज दुनियाँ मे
खुदगर्ज दुनियाँ मे
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जिसको गोदी मिल गई ,माँ की हुआ निहाल (कुंडलिया)
जिसको गोदी मिल गई ,माँ की हुआ निहाल (कुंडलिया)
Ravi Prakash
चाय पार्टी
चाय पार्टी
Mukesh Kumar Sonkar
घाव करे गंभीर
घाव करे गंभीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
बदलती हवाओं की परवाह ना कर रहगुजर
बदलती हवाओं की परवाह ना कर रहगुजर
VINOD CHAUHAN
माँ काली
माँ काली
Sidhartha Mishra
मैं आदमी असरदार हूं - हरवंश हृदय
मैं आदमी असरदार हूं - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
उड़ने का हुनर आया जब हमें गुमां न था, हिस्से में परिंदों के
उड़ने का हुनर आया जब हमें गुमां न था, हिस्से में परिंदों के
Vishal babu (vishu)
"अकेलापन की खुशी"
Pushpraj Anant
विचार पसंद आए _ पढ़ लिया कीजिए ।
विचार पसंद आए _ पढ़ लिया कीजिए ।
Rajesh vyas
Loading...