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20 Jul 2023 · 1 min read

बचपन

बचपन में हम अजीब हरकत करते हैं,

ना खयाल घर का, ना परवाह डर का
कब हो जाती शाम खेलते खेलते।

मार पड़ती जब मम्मी पापा की,
सो जाते बिलखते बिलखते।

काश वही जीवन अच्छा था,
अभी जवानी नही आई होती।

हामी भर भर के दादी जी,
कोई कहानी सुनाई होती।

किसी बात का फिक्र नहीं था,
जमाना से कोई काम न था।

कैसी रहती जिंदगी सबकी ,
चिंता सरेआम न था।

रब ने क्या बनाई है,
जिंदगी की लीला।

कोई भूखे प्यासे सो रहे,
कोई करता रासलीला।

आग्रह है रब तुझसे,
सबको एक समान बनाते।

कोई न अमीर कोई न गरीब,
सबको महान बनाते।

ऐसी लीला प्रभु आपकी,
सबको खुशहाल करते।

हाथ जोड़कर बोलता हूं,
कोई बेहाल न मरते।

अनिल आदर्श

Language: Hindi
711 Views
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