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20 Jun 2023 · 1 min read

याद पिता की

याद पिता की कभी न जाती
सदा साथ रह हिय हुलसाती

घर में रहूँ या रहूँ बाहर
उनकी सुस्मृति साथ निभाती

उनकी ही प्रेरणा निरन्तर
मुझसे काव्य-सृजन करवाती

सुख में दुख में सम रहने का
पाठ अनवरत मुझे पढ़ाती

वे ‘महेश’ को सीख दे गए
निर्भयता भीतर से आती

महेश चन्द्र त्रिपाठी

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