मै अपवाद कवि अभी जीवित हूं
दूर तक आ गए मुश्किल लग रही है वापसी
23/54.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
समय सबों को बराबर मिला है ..हमारे हाथों में २४ घंटे रहते हैं
दिल में उम्मीदों का चराग़ लिए
💐प्रेम कौतुक-517💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अच्छी लगती धर्मगंदी/धर्मगंधी पंक्ति : ’
निभाने वाला आपकी हर गलती माफ कर देता और छोड़ने वाला बिना गलत
सुस्त हवाओं की उदासी, दिल को भारी कर जाती है।
Ek galti har roj kar rhe hai hum,
आखिर में मर जायेंगे सब लोग अपनी अपनी मौत,
चातक तो कहता रहा, बस अम्बर से आस।
पुण्य स्मरण: 18 जून2008 को मुरादाबाद में आयोजित पारिवारिक सम
कश्ती औऱ जीवन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर