सिद्धार्थ गोरखपुरी 871 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सिद्धार्थ गोरखपुरी 2 Jun 2022 · 1 min read पिता गलतफहमी है के अलाव सा है पिता घना वृक्ष है पीपल की छाँव सा है पिता लहजा थोड़ा अलग होता है माना पर प्रेम अंतस में लबालब भरा है अपने... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 7 11 457 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 May 2022 · 1 min read गाँव के रंग में रंग लो खुद को गाँव के रंग में तन - मन गाँव में ढाल के जीवन अनुभव की खान है ये हैं गाँव के लोग कमाल के रंग लो खुद... Hindi · गीत 6 4 460 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 Aug 2021 · 1 min read जाति-पाति में मत उलझो जाति-पाति में मत उलझो ,रहना है हमें हर ठाँव बराबर। सिर के ऊपर सूरज तपता ,तो पाँव के नीचे छाँव बराबर। चमड़े का है रंग अलग पर लहू एक जैसा... Hindi · मुक्तक 5 5 453 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 26 Sep 2021 · 1 min read बेटी अब बात नहीं रही है वो ,जो पुराने लोग समझते थे। बड़े अजीब थे लोग ,जो बेटी को बोझ समझते थे।। वक्त बदला , लोग बदले , जमाना बदला। पर... Hindi · गीत 5 544 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 3 Jun 2022 · 1 min read पिता ऐसा अचूक प्रमेय है पद पिता का संभ्रांत है पर प्रेम सदा ही ध्येय है अनसुलझे सवालों का हल है ये पिता ऐसा अचूक प्रमेय है त्याग व तप का प्रमाण है जिसका त्याग... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 5 7 217 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 Jul 2023 · 1 min read फ़ितरत बदलेगी बदलना ज़ब तय ही है तो, नियति बदलेगी कुदरत बदलेगीl प्रेम - भाव के अधूरेपन की, कभी न कभी तो फ़ितरत बदलेगीl अधूरे स्वप्न अधूरा जीवनl आधे -आधे में कटता... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 1 525 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Jul 2021 · 1 min read कलाम कोई बात होती थी तो सरेआम कहते थे। हम मिलने पर भाइयो से राम राम कहते थे। कोई था जो देश को हरपल समर्पित था सिद्धार्थ उनको ही अब्दुल कलाम... Hindi · गीत 4 239 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Jul 2021 · 1 min read हालात अच्छे थे मैं भी अच्छा था और मेरे जज्बात अच्छे थे। ये तब की बात है जब मेरे हालात अच्छे थे। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 4 2 299 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Aug 2021 · 1 min read कम था मेरी चाहत को भी तुमने सराहा कम था। आदतन ऐसा किया था या चाहा कम था। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 4 224 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Sep 2021 · 1 min read मकान हो गए जब लोग अपने लोगों से अनजान हो गए। आपसी रिश्तों में अनेको व्यवधान हो गए। जब लोग ही जुड़ के रह सके न एक साथ , फिर गली ,मोहल्ले,गांव,शहर वीरान... Hindi · मुक्तक 4 4 409 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 Oct 2022 · 1 min read साढ़े सोलह कदम न पूछ के किस - किस तरहा से मजबूर हूँ अपनी रफ्तार से बस साढ़े सोलह कदम दूर हूँ जिन्दगी मजबूर होना चाहती है! तो हो जाए मैं तो वैसे... Hindi · गीत 4 4 259 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Mar 2021 · 1 min read झूठे रिश्ते नाते हैं सब झूठा लगता है अब तो, झूठे रिश्ते नाते हैं। सब अपने है , मैं अपना हूँ ,ये सब कोरी बातें हैं। गर मुश्किल जीवन में आये, झटक के निकल... Hindi · मुक्तक 3 3 520 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Mar 2021 · 1 min read जरी जईता एहि होली में वैक्सीन से कंट्रोल हो पाई, अब दम नाही बा गोली में। रंग में भंग जे पड़ी जाई त, मिठास का रही बोली में। एक साल तूँ बड़ा सतवला अब तुहके... Hindi · कविता 3 473 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Mar 2021 · 1 min read त्योहार ऐसे हो गए पहले तो हम भी सही थे इसबार ऐसे हो गए। हाल किसी का कौन जानता है व्यवहार ऐसे हो गए। रंग बेरंग पड़ चुका है खाली खाली पिचकारियां है, किससे... Hindi · शेर 3 2 261 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 30 Mar 2021 · 1 min read अप्रैल फूल बनावत बा हुनहु के खा ल हुनसे ले ल, बम्मुआ सबके सिखावत बा। चारो ओर खात पियत बा, कई कई रूप दिखावत बा। होली में ही फूल बनवले अच्छे अच्छे पढ़न लिखन... Hindi · मुक्तक 3 1 343 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 May 2021 · 1 min read बरसात हो जाये दिमाग दिल की दहलीज पर आये और बात हो जाये। खुद में खुद के नए हसीन रिश्ते की, शुरुआत हो जाये। मैं जब भी उनसे मिलूँ ये ख्वाहिश है मेरी,... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका 3 7 567 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 May 2021 · 1 min read सवेरा हो गया रौशनी कोशों दूर है और घनघोर अंधेरा हो गया है। रात कटे तो कैसे कटे ,सब ओर अंधेरा हो गया है। स्वप्न में खुशियां समेटे सो रहा था रात भर,... Hindi · शेर 3 291 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 25 May 2021 · 1 min read साँसे उधार की दिन में नौकरीशुदा आदमी और रातें उधार की। रटी रटाई स्क्रिप्ट है और हैं बातें उधार की। है घमंड करता किस बात की रे तूँ, है उलझनों में तेरा जीवन... Hindi · शेर 3 281 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 25 May 2021 · 1 min read काबिल हो गया किस किस्म के लोगो में ,मैं शामिल हो गया। अपनी ही भावनाओं का ,मैं कातिल हो गया। जुड़ के रहने में परहेज़ लाचारी में हुआ, उधर लोग समझ बैठे कि... Hindi · शेर 3 319 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 May 2021 · 1 min read गाँव की गलियां गांव की गलियां संकरी हैं ,पर चौड़ी सड़कों से बेहतर है। यहाँ प्राणवायु की कमीं नही ,है बहती हवा सरसर है। ऊँची बिल्डिंग के ऊँचे लोगों ,क्या तुमको ये पता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 737 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 29 May 2021 · 1 min read विश्वास अपनी भावनाओं का मैं ,अक्सर उपहास किया करता था। शोर - गुल से दूर कही मन मेरा ,प्रवास किया करता था। वो लोग भी क्या लोग रहे जो निशिदिन कटुता... Hindi · मुक्तक 3 2 306 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 31 May 2021 · 1 min read मुस्कुराया कौन करता है मेरे क्षणिक खुशियों को ,चुराया कौन करता है। मेरे गम को देखकर , मुस्कुराया कौन करता है। मैंने अपनो की फ़ेहरिस्त बड़ी जबरदस्त रख्खी थी, फिर मुझे अपना बनाकर ,पराया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 366 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Jun 2021 · 1 min read वाह रे हम! तस्वीर पर मेरी वाह लिखने वाले तूँ ठहर जाता है अक्सर मेरे लिखे लेख देख कर। फेसबुक पर बमुश्किल लाइक करके निकल जाता है अपनी उँगलियों को आराम देकर। माना... Hindi · लेख 3 1 333 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 10 Jun 2021 · 1 min read सावन दिखा दिया उलझन में था दिमाग ,की अपना नहीं है कौन, ठोकर लगा के उसने ,अपनापन दिखा दिया। आंखों में जम गयी थी ,गलतफहमीयों की धूल, सब साफ हो गया ,जब उसने... Hindi · मुक्तक 3 392 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 12 Jun 2021 · 1 min read वो मेरी नजर में था बेवफा होना उसके मुक्कदर में था। वो मेरे अच्छे दौर के हर डगर में था। मुझे उसके बेवफा होने का एहसास पहले से ही था, उसे क्या पता कि वो... Hindi · शेर 3 217 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 Jun 2021 · 1 min read बारी अब दुख हरती के हैं डगमग पाँव में घाव लिए ,वो परम् वक्ता इस धरती के हैं। देह का हाल बेहाल हुआ है ,लगते लक्षण कुछ भरती के हैं। मदमस्त निगाहें ,बोली विदेशी और मुंडी... Hindi · मुक्तक 3 259 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 17 Jun 2021 · 1 min read समझदार भी तो हो गम तो होता ही है पर खुशी की,दरकार भी तो हो। परेशानियों के मर्ज की दवा,असरदार भी तो हो। हम सौंप दें अपने गमे दिल को बड़े अदब के साथ,... Hindi · शेर 3 1 514 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Jun 2021 · 1 min read न तुम ढूंढ पाए न हम ढूंढ पाए यादों के खजाने भरे थे पड़े ,पर लोग उसको कम ढूंढ पाए। जोर जेहन पे हमने डाला कभी ,बमुश्किल किसी का रहम ढूंढ पाए। भावनाओं को ढूंढे जमाना हुआ क्या... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 493 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 8 Jul 2021 · 1 min read हिंदी और अंग्रेजी फूट डालो राज करो की नीति से ,हमे गुलाम कर गए। अब बारी भाषा की आ गयी है ,कि ऐसा काम कर गए। हर हिंदुस्तानी भाषा में ,अंग्रेजी शब्दों के... Hindi · कविता 3 4 512 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 8 Jul 2021 · 1 min read सुनता हूँ मैं ही हूँ ऐसा कि मेरी तक़दीर है ऐसी, दूजे के हिस्से की क्यों मैं ही सुनता हूँ। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 3 475 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 8 Jul 2021 · 1 min read वक्त की बुज़दिली मुझे गमगीन करना गर तेरे ,फ़ितरत में शामिल है। तो ऐ वक्त! ये जान ले ,तूं मेरे खुशियों का कातिल है। मुझे गिराने की फिराक में रहता है मेरी किश्मत... Hindi · शेर 3 397 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 8 Jul 2021 · 1 min read उजालों से डर लगता है बेतरतीब और गफ़लत भरे ,खयालों से डर लगता है। वक़्त के पूछे गए अजीबोगरीब, सवालों से डर लगता है। अंधेरा ऐसा भी छा जाता है बदनसीबी का कभी, कि अंधेरों... Hindi · शेर 3 2 342 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 29 Jul 2021 · 1 min read टोका न कीजिए मेरे सुलगते गम को हवा का ,झोका न दीजिए। मेरे हालात पर मुझे बार- बार, टोका न कीजिए। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 3 1 253 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 30 Jul 2021 · 1 min read रूठा नहीं करते अच्छे दौर में मान मनौव्वल होता है, अगर दौर बुरा हो तो रूठा नहीं करते । -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 3 2 258 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Aug 2021 · 1 min read कौन देता है गुमनाम रहता हूँ कि मुसीबत ढूंढ न पाए, मुसीबतों को पता मेरा,न जाने कौन देता है। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 3 338 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Aug 2021 · 1 min read अच्छा होता खुशियां रूठने का संदेशा मुसीबतों से भिजवातीं हैं, मुसीबतें ही रूठ जातीं तो कितना अच्छा होता। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 3 329 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Aug 2021 · 1 min read ख़्वाब की तरह अपनी ख्वाहिशों को मैंने गुलाब की तरह देखा। तेरे चेहरे को मैने आफ़ताब की तरह देखा। तुझे देखा है ख्वाबों में अक्सर मिलते हुए, उस ख़्वाब को भी मैने बस... Hindi · शेर 3 2 316 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Aug 2021 · 1 min read मां लिखा लोगों ने बड़प्पन को रुतबा ,जमीन पैसा ,सोहरत और मकां लिखा। एक मैं था जिसे ये सब बेमानी सा लगा, मैने इन सबकी जगह सिर्फ मां लिखा। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 3 249 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 8 Aug 2021 · 1 min read खैर! क़िस्मत आज भी मुझसे खफ़ा है। खैर! कौन पहली दफा है। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 3 1 307 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 21 Aug 2021 · 1 min read वो न किसी की सुनता है अनुभव कहता है मेरा सुनो ,पर वो न किसी का सुनता है। मन अपने में ही मस्त मगन हो ,इक ताना-बाना बुनता है। अनुभव ने बहुत है समझाया की मुझको... Hindi · गीत 3 729 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Sep 2021 · 1 min read बीते कल की यादें अब झूठी कसमें खातें हैं लोग और झूठे होते वादे हैं। तोल- मोल आया ही नहीं ,हम रिश्तों में सीधे- सादे हैं। मेरे जेहन में घूमती यादें दिल को सुकूँ... Hindi · मुक्तक 3 2 440 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Oct 2021 · 1 min read पितृ देव पितृ देव के कर सरोज में ,प्रणाम बारम्बार है। आपके कृपा से मिलता ,खुशियों का संसार है। आप कल थे और आप आज भी हैं, हमारे जेहन में हमारी यादों... Hindi · गीत 3 391 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 2 Nov 2021 · 1 min read आखरी पन्ने कहानी लिखते-लिखते आखरी पन्ने पर आ पहुँचें। हमें ही मालूमात है ये के हम कहाँ-कहाँ पहुँचें। जैसे तैसे कहानी लिख डाली हमने, अब इस कहानी को रुख़सत कर दें। चलो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 297 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 Nov 2021 · 1 min read बड़े चालाक हो प्रभु बड़े चालाक हो मेरे प्रभु हर गुत्थी सुलझाए रखते हो। बस हमे ही जीवन मृत्यु के बीच यूँहीं उलझाए रखते हो। आदमी को ठोकर के बाद पथ बोध कराया करते... Hindi · कविता 3 5 355 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 26 Nov 2021 · 1 min read ऐ उम्मीद ऐ उम्मीद! मैं तुमसे छुटकारा चाहता हूँ। क्योंकि मैं खुश रहना ढेर सारा चाहता हूँ। तुम न होती तो भावनाएं आहत न होतीं। किसी से कभी भी कोई चाहत न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 6 677 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 May 2022 · 1 min read ये ख्वाब न होते तो क्या होता? ये ख्वाब न होते तो क्या होता? झोपड़ी में रहने वाले लोग जब थोड़े व्यथित हो जाते है वक़्त अपना भी बदलेगा जब ये खुद को समझाते हैं फिर रात... Hindi · कविता 3 2 567 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 May 2022 · 1 min read गँवईयत अच्छी लगी माँ को न शहर अच्छा लगा न न शहर की शहरियत अच्छी लगी वो लौट आई गाँव वाले बेटे के पास के उसे गाँव की गँवईयत अच्छी लगी ममता भी... Hindi · कविता 3 2 611 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 May 2022 · 1 min read प्रारब्ध प्रबल है जीवन पथ पर कुछ खो जाने पर मानव हो जाता अधिक विकल है सबल -निबल नहीं है मानव बस केवल प्रारब्ध प्रबल है नीयत तय करती है नियति क्या खोना... Hindi · कविता 3 2 947 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 Jun 2022 · 1 min read पीछा जिन्दगी के रास्ते को ऊँचा -नीचा कर रहा हूँ मैं एक अरसे से खुद का पीछा कर रहा हूँ -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 3 107 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 11 Jun 2022 · 1 min read खुशियाँ समेट कर फेंक दो अपनी उम्मीदों को सफ़ेद चादर लपेट कर वरना हर शख्स ले जाएगा तुम्हारी खुशियाँ समेट कर -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 3 109 Share Page 1 Next