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8 Jul 2021 · 1 min read

वक्त की बुज़दिली

मुझे गमगीन करना गर तेरे ,फ़ितरत में शामिल है।
तो ऐ वक्त! ये जान ले ,तूं मेरे खुशियों का कातिल है।
मुझे गिराने की फिराक में रहता है मेरी किश्मत की
आड़ में,
तूँ सामने से नही आता ,क्या तूं इतना बुजदिल है।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
Tag: शेर
3 Likes · 400 Views
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