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28 Mar 2021 · 1 min read

त्योहार ऐसे हो गए

पहले तो हम भी सही थे इसबार ऐसे हो गए।
हाल किसी का कौन जानता है व्यवहार ऐसे हो गए।
रंग बेरंग पड़ चुका है खाली खाली पिचकारियां है,
किससे मिल लें सोचना है त्योहार ऐसे हो गए।
– सिद्धार्थ पांडेय

Language: Hindi
Tag: शेर
3 Likes · 2 Comments · 270 Views
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