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21 Aug 2021 · 1 min read

वो न किसी की सुनता है

अनुभव कहता है मेरा सुनो ,पर वो न किसी
का सुनता है।
मन अपने में ही मस्त मगन हो ,इक ताना-बाना
बुनता है।
अनुभव ने बहुत है समझाया की मुझको ही
हर बार चुनो,
अब तो ये मन के ऊपर है , के वो किसको
चुनता है।
अनुभव कहता है मेरा सुनो ,पर वो न किसी
का सुनता है।
मन अब तो बांवरा हुआ है ,उसको कुछ भी
ख़याल कहाँ।
उसे गरज ये भी तो नहीं कि ,उपजें है कितने
सवाल कहाँ।
किसी बात को ना समझे ये ,बस अपनी ही धुन
धुनता है।
अनुभव कहता है मेरा सुनो ,पर वो न किसी
का सुनता है।
अनुभव कहता है उड़ो मगर ,परवाज तुम्हारे
बस में हो।
बुराइयों का संहार कर सको ,इतने तीर तो
तरकस में हो।
समय नहीं हर समय तुम्हारा ,इसमें भी तो
निष्ठुरता है।
अनुभव कहता है मेरा सुनो ,पर वो न किसी
का सुनता है।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 728 Views
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