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13 May 2022 · 1 min read

गँवईयत अच्छी लगी

माँ को न शहर अच्छा लगा न
न शहर की शहरियत अच्छी लगी
वो लौट आई गाँव वाले बेटे के पास
के उसे गाँव की गँवईयत अच्छी लगी

ममता भी माँ से थोड़ी अनजान हो गई
माँ शहर वाले बेटों के यहाँ जब मेहमान हो गई
गाँव वाला बेटा जब ले आया माँ को घर,
तो गलियाँ, खिड़कियां, नीम की छइयाँ
सब के सब मकान हो गईं
माँ को उसके मन की वसीयत अच्छी लगी
वो लौट आई गाँव वाले बेटे के पास
के उसे गाँव की गँवईयत अच्छी लगी

खुदा ने खुद को जब खुद सा बनाना चाहा
उसने ये प्रयोग हर माँ पर आजमाना चाहा
वो जानता था के माँ उससे भी बड़ी है
बस इस बात को दुनिया को बताना चाहा
उसे हर एक दौर में माँ की नीयत अच्छी लगी
वो लौट आई गाँव वाले बेटे के पास
के उसे गाँव की गँवईयत अच्छी लगी

शहर और गाँव का ताल्लुक उसे अब अच्छा नहीं लगता
शहर का बच्चा भी अब उसे बचपने से बच्चा नहीं लगता
उसके कान में मन ने ऐसी बात कह दी के,
न उसे आदमी अच्छा लगा न उसकी कैफियत अच्छी लगी
वो लौट आई गाँव वाले बेटे के पास
के उसे गाँव की गँवईयत अच्छी लगी
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 604 Views
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