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25 Feb 2023 · 1 min read

ग़ज़ल

हमारे ज़हन में क्या वहम‌ ओ गुमां बैठ गया।
तेरी जुदाई से दिल यह मेरा बैठ गया।

तिलस्मी हुस्न का मै ही फकत दीवाना नहीं।
जिस ने भी देखा तुझे सच में वहां बैठ गया।

तेरा गुस्सा भरा लहजा तेरा अपनापन मिज़ाज।
प्यार से देख कर ये दिल में कहां बैठ गया।

दिल के एहसास ए मोहब्बत की ग़ममाजी आंखें।
रोए तो तुम थे मगर मेरा गला बैठ गया।

उसका एहसान है कि दिल में बिठाया मुझको।
मेरी यह सादा मिजाजी मैं वहां बैठ गया।

“सगीर” मुश्किल है मोहब्बत का सफर भी कितना।
दो कदम साथ चला फिर न चला बैठ गया।

Language: Hindi
138 Views
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