Bhartendra Sharma Tag: कविता 46 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Bhartendra Sharma 1 Apr 2021 · 2 min read मूर्ख दिवस मूर्ख दिवस क्यों बनाते हो हमें मूर्ख आज बस एक दिन, हम तो पीढ़ियों से अनवरत बना रहे हैं मूर्ख स्वयं को... और समझकर खुद को समझदार पालते हैं वहम... Hindi · कविता 3 635 Share Bhartendra Sharma 31 Mar 2021 · 1 min read अन्तर्मन की बातें अन्तर्मन की बातें भीतर की सीलन में सड़ती, लेकिन नहीं सुखाई जाती... अन्तर्मन की बातें अक्सर, ना सबसे बतियाई जातीं... रहते सदा भीड़ के अंदर पर अंदर से निपट अकेले...... Hindi · कविता 1 1 443 Share Bhartendra Sharma 22 Mar 2021 · 1 min read कविता अंतरराष्ट्रीय कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। इस अवसर पर मेरी एक कविता अंतर्मन के भावों का सुप्त और जागृत ख्वाबों का, अंबर की नीली स्याही से सृजित धरा पर एक... Hindi · कविता 1 2 547 Share Bhartendra Sharma 18 Mar 2021 · 1 min read शारदे के हम पुजारी शारदे के हम पुजारी शोलों सी जलती जमीं पर हम तराई रोपते हैं... है नहीं अधिकार लेकिन बेईमानी रोकते हैं... है जिन्हें अधिकार सौंपा मुंह सुरसा सा है उनका... प्रगति... Hindi · कविता 1 3 323 Share Bhartendra Sharma 15 Mar 2021 · 1 min read कहां जा रहा है मनुज कहां जा रहा है मनुज ना मस्ती ना हस्ती, ना राहें न मकसद... ना रिश्ते ना नाते, ना अंतर ना शरहद... दरिया है आगे पर बहे जारहे हो... होकर मनुज... Hindi · कविता 4 1 311 Share Bhartendra Sharma 14 Mar 2021 · 1 min read पहली मुलाकात पहली मुलाकात अगर उस शाम बरसात नहीं होती... पहली मुलाकात यूं खास नहीं होती... तुम्हारा लाल साइकल पर इतरा कर हवा होना.. तुम्हीं थी मर्ज कॉलेज में तुम्हारा ही दवा... Hindi · कविता 3 397 Share Bhartendra Sharma 13 Mar 2021 · 1 min read स्वप्न में यूं तुमसे मुलाकात होगई. सोया था तेरे साथ ही पर अजीब बात होगई... आज स्वप्न में यूं तुमसे मुलाकात होगई... तुम तो थीं, हां तुम ही थीं, तुम सी न थी... नेह था,अनुराग था... Hindi · कविता 1 298 Share Bhartendra Sharma 12 Mar 2021 · 1 min read शायद प्यार यही होता है शायद प्यार यही होता है... 1. दो नयन अचानक मिले और चार हो गए... जान पहिचान हुई नहीं और यार हो गए... दोपहर शाम सी लगे और अमावस में चाँदनी... Hindi · कविता 2 2 313 Share Bhartendra Sharma 10 Mar 2021 · 1 min read मैं पुरुष रूप में वरगद हूं..पार्ट-10 मैं पुरुष रूप में वरगद हूं..पार्ट-10 भीतर से हूं निरा खोखला, बाहर दिखता गदगद हूँ… मिथ्या कहते है सबल श्रेष्ठ, मैं पुरुष रूप में वरगद हूँ… मैं वरगद हूँ, मैं... Hindi · कविता 4 320 Share Bhartendra Sharma 9 Mar 2021 · 1 min read महिला दिवस महिला दिवस पर स्वरचित रचना ना तब भी कमजोर थी ना अब कमतर कौम... तब काली का रूप थी अब भी मेरीकॉम... अब भी मेरीकॉम किरण बेदी और अरुधंती... जब... Hindi · कविता 2 1 614 Share Bhartendra Sharma 9 Mar 2021 · 1 min read मैं पुरुष रूप में वरगद हूं..पार्ट-9 मैं पुरुष रूप में वरगद हूं..पार्ट-9 भीतर से हूं निरा खोखला, बाहर दिखता गदगद हूँ… मिथ्या कहते है सबल श्रेष्ठ, मैं पुरुष रूप में वरगद हूँ… मैं वरगद हूँ, मैं... Hindi · कविता 2 1 309 Share Bhartendra Sharma 4 Mar 2021 · 1 min read मैं पुरुष रूप में वरगद हूं..पार्ट-8 मैं पुरुष रूप में वरगद हूं..पार्ट-8 भीतर से हूं निरा खोखला, बाहर दिखता गदगद हूँ… मिथ्या कहते है सबल श्रेष्ठ, मैं पुरुष रूप में वरगद हूँ… मैं वरगद हूँ, मैं... Hindi · कविता 2 281 Share Bhartendra Sharma 3 Mar 2021 · 1 min read मैं पुरुष रूप में वरगद हूं..पार्ट-7 मैं पुरुष रूप में वरगद हूं..पार्ट-6 भीतर से हूं निरा खोखला, बाहर दिखता गदगद हूँ… मिथ्या कहते है सबल श्रेष्ठ, मैं पुरुष रूप में वरगद हूँ… मैं वरगद हूँ, मैं... Hindi · कविता 1 4 448 Share Bhartendra Sharma 2 Mar 2021 · 1 min read मैं पुरुष रूप में वरगद हूं..पार्ट-6 भीतर से हूं निरा खोखला, बाहर दिखता गदगद हूँ... मिथ्या कहते है सबल श्रेष्ठ, मैं पुरुष रूप में वरगद हूँ... मैं वरगद हूँ, मैं वरगद हूँ, मैं वरगद हूँ, मैं... Hindi · कविता 1 2 304 Share Bhartendra Sharma 2 Mar 2021 · 1 min read नारी *नारी* नारी क्या है जटिल पहेली खुद भी खुद को नहीं जानती.. सबला है पर जानबूझकर, खुद को सबला नहीं मानती... सृजन उसी से पोषण उससे पालन भी उसके ही... Hindi · कविता 1 570 Share Bhartendra Sharma 1 Mar 2021 · 1 min read मैं पुरुष रूप में वरगद हूं..पार्ट_5 भीतर से हूं निरा खोखला, बाहर दिखता गदगद हूँ... मिथ्या कहते है सबल श्रेष्ठ, मैं पुरुष रूप में वरगद हूँ... मैं वरगद हूँ, मैं वरगद हूँ, मैं वरगद हूँ, मैं... Hindi · कविता 1 303 Share Bhartendra Sharma 26 Feb 2021 · 1 min read मैं पुरुष रूप में वरगद हूं..पार्ट_4 भीतर से हूं निरा खोखला, बाहर से दिखता गदगद हूं... मिथ्या कहते है सबल श्रेष्ठ, मैं पुरुष रूप में वरगद हूं... मैं वरगद हूं, मैं वरगद हूं, मैं वरगद हूं,... Hindi · कविता 2 9 366 Share Bhartendra Sharma 25 Feb 2021 · 1 min read मैं पुरुष रूप में वरगद हूँ पार्ट -3 भीतर से हूं निरा खोखला, बाहर दिखता गदगद हूँ... मिथ्या कहते है सबल श्रेष्ठ, मैं पुरुष रूप में वरगद हूँ... मैं वरगद हूँ, मैं वरगद हूँ, मैं वरगद हूँ, मैं... Hindi · कविता 4 281 Share Bhartendra Sharma 24 Feb 2021 · 1 min read मैं पुरुष रूप में वरगद हूँ पार्ट -2 भीतर से हूं निरा खोखला, बाहर दिखता गदगद हूँ... मिथ्या कहते है सबल श्रेष्ठ, मैं पुरुष रूप में वरगद हूँ... मैं वरगद हूँ, मैं वरगद हूँ, मैं वरगद हूँ, मैं... Hindi · कविता 1 1 305 Share Bhartendra Sharma 23 Feb 2021 · 1 min read मैं पुरुष रूप में वरगद हूं-1 शीर्षक:- मिथ्या कहते है सबल श्रेष्ठ, मैं पुरुष रूप में वरगद हूं भीतर से हूं निरा खोखला, बाहर दिखता गदगद हूं... मिथ्या कहते है सबल श्रेष्ठ, मैं पुरुष रूप में... Hindi · कविता 2 6 289 Share Bhartendra Sharma 14 Feb 2021 · 1 min read प्रेम शहादत दोनों का दिन प्रेम शहादत दोनों का दिन प्यार प्रेम, उत्सर्ग शहादत सब अपनाओ आज दोस्तो... प्रेम - शहादत दोनों का दिन आज मनाओ खाश दोस्तो... प्रेम नहीं होगा यदि दिल में तो... Hindi · कविता 4 359 Share Bhartendra Sharma 14 Feb 2021 · 1 min read हमें ना बोलो प्रेम विरोधी हमें ना बोलो प्रेम विरोधी धरा कृष्ण की हम कान्हा के हम पहचानें गहन रास को... नमन प्रेम को, नमन नेह को, नमन चाह को नमन राग को... रक्तशिरा में... Hindi · कविता 4 4 319 Share Bhartendra Sharma 11 Feb 2021 · 1 min read अपना घर भरतपुर राजस्थान में लावारिस, शारीरिक एवं मानसिक अस्वस्थ लोगों की देखरेख हेतु संचालित "अपनाघर" का अवलोकन किया तो ये कविता लिखी:- मावस के घुप्प अंधेरे में, रोती आवाजें आती हैं...... Hindi · कविता 8 11 464 Share Bhartendra Sharma 9 Feb 2021 · 1 min read आरक्षण आरक्षण माँ बच्चों में भेद करेगी समुचित पोषण कैसे होगा... सबसे सम व्यवहार ना होगा इकरस तोषण कैसे होगा... राष्ट्र सभी को है एक जैसा कौम भेद स्वीकार नहीं है...... Hindi · कविता 5 13 415 Share Bhartendra Sharma 8 Feb 2021 · 1 min read ये देश हमारा है ये देश हमारा है हम हिन्दुस्तानी हैं ये देश हमारा है... ये गर्व हमारा है हमें जान से प्यारा है... इतिहास बताता है हम बहुत घट चुके हैं सदियों से... Hindi · कविता 3 1 354 Share Bhartendra Sharma 7 Feb 2021 · 2 min read मेरा गांव मेरा गांव (कितने हसीन थे) कच्ची दीवारों पर छप्पर पड़े थे... थे घर छोटे छोटे पर दिल के बड़े थे... वो आमों की बगीयां वो सावन के झूले.. वो कपड़े... Hindi · कविता 2 1 582 Share Bhartendra Sharma 4 Feb 2021 · 1 min read वर्षात और फिर रात यदि वर्षात हो फिर रात हो तुम साथ हो तो क्या बात हो ज़ुल्फों से पानी टपकता हो तुम्हारे गाल पर आकर अटकता हो यौवन शिखरों पर गिर कर के... Hindi · कविता 3 1 351 Share Bhartendra Sharma 4 Feb 2021 · 1 min read मैं पागल तुम दीवानी हो मैं पागल तुम दीवानी हो मय युक्त लवों पर मुक्त तबत्सुम, उभरे उरोज मादक थिरकन कातिल चितवन, न्यासी हो प्रकृति की या साकी कोई भरा हुआ पैमाना हो.... जुगुनू सी... Hindi · कविता 3 1 351 Share Bhartendra Sharma 3 Feb 2021 · 1 min read भ्रष्टाचार चाहे जितना जोर लगा लो, कितना भी जन गण मन गा लो... कितनी भी योजना बना लो, समिति बना लो, बजट बना लो... भारत आगे नहीं बढ़ेगा जब तक छिद्र... Hindi · कविता 6 4 375 Share Bhartendra Sharma 2 Feb 2021 · 5 min read अधूरा पर पूर्ण प्यार ना कवि ना कोई लेखक हूँ, पर कुछ पंक्ति लिख लेता हूं.. ना रस लोलूप भंवरे जैसा पर सौम्य कली लख लेता हूं.. जीवन का मार्ग अनिश्चित है, इसमें कुछ... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 29 165 988 Share Bhartendra Sharma 30 Jan 2021 · 1 min read रति मति प्रेरक पैमाना हो रति मति प्रेरक पैमाना हो मय युक्त लवों पर मुक्त तबत्सुम, उभरे उरोज मादक थिरकन कातिल चितवन, धुति हो गति हो चपला हो या रति मति प्रेरक पैमाना हो... अनुपम... Hindi · कविता 5 6 310 Share Bhartendra Sharma 28 Jan 2021 · 2 min read तुम बिल्कुल भी रूमानी नहीं हो तुम बिल्कुल भी रूमानी नहीं हो क्या कहूँ तुमसे तुम्हारे बारे में, मेरी इस उलझी सी दुनिया की खूबसूरत हिस्सा हो तुम... क्या सुनूँ दुनिया से तुम्हारे बारे में जब... Hindi · कविता 4 5 288 Share Bhartendra Sharma 23 Jan 2021 · 1 min read जीवन एक भूलभुलैया जीवन एक भूलभुलैया मैं अचानक एक दिन, जिंदगी की राह में मंजिल को पाने चल पड़ा उम्र के पड़ाव कितने ही गुजरते गए अनगिनत मीलों के पत्थर पार मैं करता... Hindi · कविता 4 2 293 Share Bhartendra Sharma 22 Jan 2021 · 1 min read तुम क्या समझो तुम क्या समझो स्वरचित मत समझो की तुम्हें देख कर मैं जीता हूँ. या नहीं देख कर मर जाता हूँ..... या तेरे योवन सागर मे डुबकी लेने या फिर नयन... Hindi · कविता 5 9 366 Share Bhartendra Sharma 19 Jan 2021 · 1 min read शायरी सी कविता सी शायरी सी कविता सी अंबुज सी खिली हुई भोली सी चंचल सी लकुटी सी काया पर जुल्फ घनी उपवन सी कामिनी वह भोली सी सोम्य पथगामिनी है… शायरी सी कविता... Hindi · कविता 4 5 381 Share Bhartendra Sharma 14 Jan 2021 · 1 min read मैं और तुम हैं साथ साथ चरखी और पतंग से मैं और तुम हैं साथ साथ चरखी और पतंग से... बंध में बंधे हुए इसलिए सधे हुए एक महीन तंग से... जब भी तुम चाहती हो उड़ना में देता हूं... Hindi · कविता 4 3 422 Share Bhartendra Sharma 13 Jan 2021 · 2 min read जीवन इतना कठिन नहीं है जीवन इतना कठिन नहीं था जितना हमने बना लिया है... जब लक्ष्य नहीं कोई निश्चित राहों को क्यों बुना गया है... पता नहीं है क्या है पढ़ना, जो है पढ़ना... Hindi · कविता 3 1 345 Share Bhartendra Sharma 11 Jan 2021 · 1 min read पर्दानशीन रहते हैं तो देखेगा कौन.. पर्दानशीन रहते हैं तो देखेगा कौन.. अलमारी में बंद किताब को पढ़ेगा कौन.. जब साझा ही नहीं करोगे खैरियत अपनी, तो दिल में छुपे दर्द को समझेगा कौन.. कुछ लम्हे... Hindi · कविता 5 7 294 Share Bhartendra Sharma 10 Jan 2021 · 1 min read भेजा न जाए भारत दुबारा जमीन पर इंसान की जरूरतों की परवाह किसे है.. यहां ऐतबार है सबको मशीन पर... सियासत को गर चाहिए कोई सफेदपोश.. तलाश खत्म होती है अक्सर कमीन पर.. पूछा गया तो साफ़... Hindi · कविता 5 1 267 Share Bhartendra Sharma 9 Jan 2021 · 1 min read हम लिखें वो ही समझो जरूरी नहीं हम लिखें कोई पढ़े ये तो जरूरी नहीं... पढ़ भी ले और उसे समझे जरूरी नहीं... समझ अपनी - अपनी है अपना दिमाग, जो लिखें वही समझे जरूरी नहीं... दुनिया... Hindi · कविता 4 4 319 Share Bhartendra Sharma 8 Jan 2021 · 1 min read यूं घुट जाना ठीक नहीं है जीवनोत्सव की सुखद घड़ी में, मन तन व हर पल रोमांचित होता है.. यादों की लडियों स्मृतियों में, स्वप्निल सा सबकुछ संचित रहता है.. भीड़भाड़ से दूर अकेले यूं बैठे... Hindi · कविता 4 10 378 Share Bhartendra Sharma 7 Jan 2021 · 1 min read मेरी बेटी प्यारी बेटी क्या है क्यों है और कैसी है.. चंदन की खुस्बू जैसी है.. मेरी बेटी प्यारी बेटी। मम्मा उसको दिनभर टोके.. पर मंदिर की घंटी के जैसे.. वो दिनभर बजती रहती... Hindi · कविता 6 16 638 Share Bhartendra Sharma 4 Jan 2021 · 1 min read दोस्ती शाम सी नहीं होती दोस्ती दोस्त से होती है किसी नाम से नहीं होती... रूह से रूह का मिलन है ये किसी काम से नहीं होती... गलत क्या है और सही किसे कहते है... Hindi · कविता 4 1 346 Share Bhartendra Sharma 2 Jan 2021 · 1 min read क्या है तुम में क्या है तुम में जो पाने को मैं पागल सा हो जाता हूं... तुम्हें देखकर ना जाने क्यूं अपने से ही खो जाता हूं... भीगी पलकों के अंतर से नयनों... Hindi · कविता 4 5 638 Share Bhartendra Sharma 1 Jan 2021 · 1 min read अभिनंदन 2021 स्वरचित अभिनंदन 2021 प्यारे नूतन वर्ष तुम्हारा अभिनंदन ... गत से पीड़ित हम तुम्हारा सादर वंदन ... क्रूर 20 ने हमको बेरहमी से रौंदा कितना सस्ता हुआ हमारी जान का... Hindi · कविता 6 4 375 Share Bhartendra Sharma 30 Dec 2020 · 1 min read तुमने कभी लिखे तो नहीं तुमने कभी लिखे तो नहीं पर उन खतों को पढ़ लेता हूं... जो तुमने कभी देखे नहीं ख्वाब हसीन गढ़ लेता हूं... तुम जो तुम हो, क्या पता है तुमको... Hindi · कविता 9 12 343 Share