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31 Mar 2021 · 1 min read

अन्तर्मन की बातें

अन्तर्मन की बातें

भीतर की सीलन में सड़ती, लेकिन नहीं सुखाई जाती…
अन्तर्मन की बातें अक्सर, ना सबसे बतियाई जातीं…

रहते सदा भीड़ के अंदर पर अंदर से निपट अकेले…
कहनी हैं बहुतेरी बातें कौन सुने बिन अपने मेले…
अंदर अंदर दम नहीं घुटती, बातें अगर सुनाई जातीं…
अन्तर्मन की बातें अक्सर, ना सबसे बतियाई जातीं…

जितने रिश्ते इतनी बातें सुबह शाम पर अंत न होतीं…
हँसते कभी सिसकते दिखते बातें व्यर्थ बतंगड़ होतीं…
हाथ मिलाते गले लगाते, पर ना रूह मिलाई जाती…
अन्तर्मन की बातें अक्सर, ना सबसे बतियाई जातीं..

जीते हैं अपनों की ख़ातिर अपनों के ही तो सपने हैं…
अपनों की सुनकर भी करते सच सा भ्रम लगते अपने हैं…
भारत निज अंतर कह पाता, प्रीति की रीत निभाई होती…
अन्तर्मन की बातें अक्सर, ना सबसे बतियाई जातीं..

भारतेंद्र शर्मा “भारत”
धौलपूर, राजस्थान

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 399 Views
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