बढ़ी हैं दूरियां दिल की भले हम पास बैठे हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जीवन में कभी भी संत रूप में आए व्यक्ति का अनादर मत करें, क्य
शक्ति का पूंजी मनुष्य की मनुष्यता में है।
नाम उल्फत में तेरे जिंदगी कर जाएंगे।
*स्मृति: शिशुपाल मधुकर जी*
"चुनाव के दौरान नेता गरीबों के घर खाने ही क्यों जाते हैं, गर
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े रखता है या
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
चाहत नहीं और इसके सिवा, इस घर में हमेशा प्यार रहे
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
फिर यहाँ क्यों कानून बाबर के हैं
ढलता सूरज वेख के यारी तोड़ जांदे
"प्रीत-बावरी"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD