Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2023 · 1 min read

“चुनाव के दौरान नेता गरीबों के घर खाने ही क्यों जाते हैं, गर

“चुनाव के दौरान नेता गरीबों के घर खाने ही क्यों जाते हैं, गरीबों को अपने घर खाने पर क्यों नही बुलाते…संवेदना या सब टी.आर.पी. का खेल है”
©दुष्यंत ‘बाबा’

1 Like · 218 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हम भारतीयों की बात ही निराली है ....
हम भारतीयों की बात ही निराली है ....
ओनिका सेतिया 'अनु '
गर गुलों की गुल गई
गर गुलों की गुल गई
Mahesh Tiwari 'Ayan'
3014.*पूर्णिका*
3014.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"जी लो जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
SuNo...
SuNo...
Vishal babu (vishu)
है जरूरी हो रहे
है जरूरी हो रहे
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
अब भी दुनिया का सबसे कठिन विषय
अब भी दुनिया का सबसे कठिन विषय "प्रेम" ही है
DEVESH KUMAR PANDEY
सपनों को अपनी सांसों में रखो
सपनों को अपनी सांसों में रखो
Ms.Ankit Halke jha
तेरी ख़ुशबू
तेरी ख़ुशबू
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मन की परतों में छुपे ,
मन की परतों में छुपे ,
sushil sarna
बात सीधी थी
बात सीधी थी
Dheerja Sharma
छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले
छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
आर.एस. 'प्रीतम'
लब्ज़ परखने वाले अक्सर,
लब्ज़ परखने वाले अक्सर,
ओसमणी साहू 'ओश'
समाज या परिवार हो, मौजूदा परिवेश
समाज या परिवार हो, मौजूदा परिवेश
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
किशोरावस्था : एक चिंतन
किशोरावस्था : एक चिंतन
Shyam Sundar Subramanian
नाक पर दोहे
नाक पर दोहे
Subhash Singhai
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
पूर्वार्थ
प्रथम शैलपुत्री
प्रथम शैलपुत्री
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
किस गुस्ताखी की जमाना सजा देता है..
किस गुस्ताखी की जमाना सजा देता है..
कवि दीपक बवेजा
" जिन्दगी क्या है "
Pushpraj Anant
नदी की तीव्र धारा है चले आओ चले आओ।
नदी की तीव्र धारा है चले आओ चले आओ।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
आपके आसपास
आपके आसपास
Dr.Rashmi Mishra
* चाह भीगने की *
* चाह भीगने की *
surenderpal vaidya
पेडों को काटकर वनों को उजाड़कर
पेडों को काटकर वनों को उजाड़कर
ruby kumari
*रानी ऋतुओं की हुई, वर्षा की पहचान (कुंडलिया)*
*रानी ऋतुओं की हुई, वर्षा की पहचान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तुम याद आ गये
तुम याद आ गये
Surinder blackpen
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
कवि रमेशराज
यह ज़िंदगी
यह ज़िंदगी
Dr fauzia Naseem shad
Loading...