तुम याद आ गये
छाई काली घटा,तुम याद आ गये।
किसने दी सदा, तुम याद आ गये।
बारिश की बूंदों का टिप टिप गिरना,
थोड़ा फिसलना,और फिर संभलना ,
जब चली ठंडी हवा,तुम याद आ गये।
एक छतरी नीचे, दोनों का साथ चलना
हाथ छूते ही , थोड़ा सा फिर सिमटना
ऐसे में हमनवां,तुम याद आ गये।
क्यों और क्यूं हुआ ,तेरा मेरा यूं बिछड़ना
न मुलाकात कोई, बस सिर्फ तडपना,
अब तो मिला दें खुदा,तुम याद आ गये
सुरिंदर कौर