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11 May 2023 · 1 min read

फिर यहाँ क्यों कानून बाबर के हैं

एक भीड़ आई असंख्यक लोगों की
सब कुछ तबाह करते हुए
खून की प्यासी बनकर,जोम्बी की तरह
ऐसा लगता था वो नाराज थी किसी से
किससे
शायद नेताओं से, या उनके झूठे बयानों से
या फिर हुक्मरानों से
मगर क्यों
शायद इसलिए कि जब लोग तरस रहे थे
रोटी सब्जी के लिये
तब शहजादे शहजादियां निहारी,बिरयानी के
रोजाना दस्तरखान सजाकर
खुद और अपने अवारा कुत्तों को बिठाते
रोज नये जाइखे चखते रोजाना मौज उड़ाते
शायद ये बरदास्त ना हुआ अवाम को
होता भी कैसे
क्योंकि जब देश और संविधान एक है
और हूकूक बराबर के हैं
फिर यहाँ क्यों हुकूमत हिटलर की है
फिर यहाँ क्यों कानून बाबर के हैं
मारूफ आलम

Language: Hindi
249 Views
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