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6 May 2025 · 1 min read

वक्त गुज़रा,

वक्त गुज़रा,
बातें बिसरी और गया जमाना..
समय के साथ मैं भी बदला
बदल गया अफ़साना…

अब ना चक्कर तेरा है ना चक्कर कोई मेरा
मुझसे दूर रहो तो अच्छा यही है मेरी इच्छा।

अभी बहुत सपने हैं बाकी सिवाय मोहब्बत करने के
वो जीवन क्या जीवन है जो व्यर्थ किसी पर मरने के…

इस दुनियां में काम बहुत है कर लेने दो मुझको तुम,
मैं हूँ राही मंज़िल मेरी है दरिया के पार कहीं…
पार उतरने वाला हूँ अब राह न मेरी रोको तुम….

शुभम आनंद मनमीत

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