/•• सम्हालीं कईसे ••/

/•• सम्हालीं कईसे ••/
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सम्हालीं केईसे हो, सम्हालीं केईसे —-२
तोहरी बनरन के तीनगो सम्हालीं केईसे
आज़ादी दिलाई के तुं गईलऽ ए गांधीजी
नेहरू के गरवा में, देहऽल् तुं बांधी जी
अरे,हो गईलें आज़ाद,होई रखवाली कईसे
—– तोहरी बनरन के तीनगो सम्हालीं केईसे
केहू काश्मीर मांगे, केहू बंगाल हो
खींचा-तानी में देशवा भईल कंगाल हो
अरे,हो गईलें बर्बाद, देखीं-भाली कईसे
—– तोहरी बनरन के तीनगो सम्हालीं केईसे
कोर्ट,कचहरी,थाना करेलें मनमानी
न्याय के अन्यायी निकाल देहलें पानी
अरे,हो गईलें नवाब,सगरो डालीं कईसे
—– तोहरी बनरन के तीनगो सम्हालीं केईसे
न हिन्दू,न सिक्ख,न मुस्लिम, ईसाई
लील गईल भारत के देखऽ नौकरशाही
इनके चंगुल से “चुन्नू” निकालीं कईसे
—– तोहरी बनरन के तीनगो सम्हालीं केईसे
//••• कलमकार •••//
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)✍️