*राज कपूर के अनन्य प्रशंसक मुरादाबाद निवासी डॉक्टर राकेश कुम
राज कपूर के अनन्य प्रशंसक मुरादाबाद निवासी डॉक्टर राकेश कुमार (कुंडलिया)
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पढ़ते-पढ़ते भा गए, मन को राज कपूर
फिर डॉक्टर राकेश के, दिल से हुए न दूर
दिल से हुए न दूर, मिले तो कविता गाई
किस्मत थी अनमोल, हाथ से छुई कलाई
कहते रवि कविराय, फैन के मानक गढ़ते
हस्ताक्षर से युक्त, घड़ी में टाइम पढ़ते
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फैन = प्रशंसक
मानक = स्टैंडर्ड
भा गए = अच्छा लगा
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451
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डॉ राकेश कुमार जब लखनऊ में एम.डी. (मेडिसिन) की पढ़ाई कर रहे थे, तब से फिल्म अभिनेता राज कपूर के प्रशंसक थे। उनसे मिलने लखनऊ के होटल में पहुंचे। राज कपूर से मुलाकात हुई। राज कपूर को जब यह पता चला कि उनका यह प्रशंसक एक डॉक्टर है; तो उन्होंने हॅंसते हुए कहा कि मेरी कलाई में दर्द है, जरा देखना ! तुरंत अवसर का लाभ उठाते हुए डॉक्टर राकेश कुमार ने अपने आदर्श-अभिनेता की कलाई का स्पर्श कर लिया। एक फैन के लिए यह एक बड़ी मार्मिक उपलब्धि थी।
मुलाकात के समय राज कपूर के साथ उनके सुपुत्र फिल्म अभिनेता रणधीर कपूर भी थे। राज कपूर ने डॉक्टर राकेश से इस बात की पुष्टि की कि अब तो मेरी उम्र काफी हो गई है। आप तो मेरे पुत्र के फैन होंगे ? डॉक्टर राकेश ने जवाब दिया कि मैं आपका फैन हूॅं। राज कपूर सुनकर पुलकित हो उठे।
डॉ राकेश के अंतर्मन में एक कवि उपस्थित था। अतः उन्होंने राज कपूर की प्रशंसा में एक कविता भी लिखी थी। उस कविता को जब उन्होंने राज कपूर को सुनाया तो राज कपूर ने उस कविता के एक-एक शब्द को मन से सुना। जैसे ही दो पंक्तियॉं पूरी हुईं, राज कपूर विस्मय से भर उठे। बोले कि मुझे पूरी तरह से जितना तुम पहचान पाए हो उतना तो शैलेंद्र (गीतकार) भी नहीं पहचान पाए। राज कपूर अपने इस अनूठे फैन से मिलकर आनंद निमग्न हो गए।
मशहूर लोगों के फैन तो बहुत होते हैं लेकिन व्यक्तित्व के मूल में जाकर उनकी विशेषताओं को समझना तथा उनकी व्याख्या कर पाना हर प्रशंसक के बस की बात नहीं होती। राज कपूर की फिल्मों को डॉ राकेश कुमार ने न केवल देखा था अपितु राज कपूर के हर अंदाज, हर अदा और एक तरह से उनके समूचे चरित्र को बारीकी के साथ ग्रहण करने का कार्य भी डॉ राकेश कुमार ने किया था। तभी तो वह राज कपूर के सर्वोत्तम फैन बने।
राज कपूर की मृत्यु के बाद में जब एक पेंट कंपनी ने राज कपूर के हस्ताक्षर सहित घड़ी का ऑफर निकाला, तब यह घड़ी प्राप्त करना बहुत महॅंगा काम था। इसके लिए राज कपूर की अनेक फिल्मों के वीडियो कैसेट का सेट खरीदना अनिवार्य था। उस जमाने में वीडियो कैसेट खूब चलते थे। अपने प्रिय अभिनेता की स्मृति को मन में बसाए हुए डॉक्टर राकेश कुमार ने राज कपूर के हस्ताक्षर वाली घड़ी खरीदने का निश्चय किया। घड़ी भी एक नहीं बल्कि दो घड़ियॉं खरीदने का उनका निश्चय था। हस्ताक्षर वाली एक घड़ी उन्होंने अपने घर पर लगाई। दूसरी घडी अपने क्लीनिक पर लगाई। ताकि घर और क्लिनिक दोनों जगहों पर उनके प्रिय अभिनेता की याद हमेशा ताजा रहे। राज कपूर के चित्र उनके हस्ताक्षर युक्त घड़ियों के साथ आज भी डॉ राकेश कुमार के क्लीनिक और घर पर देखे जा सकते हैं।(लेखक: रवि प्रकाश)