Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Oct 2023 · 1 min read

“तब जाकर कुछ लिखता हूं”

दुःख सुख के मंडराते हैं बादल
घनी स्मृतियों के ताने चादर
जब पीर बनते हैं आंसू
तब आंसूओं को पीता हूं
तब जाकर कुछ लिखता हूं।

विविध रंग जीवन की छाया
उलझता हूं, सुलझाता हूं
जब करुणा होती है कलित
तब संवेदनाओं में बहता हूं
तब जाकर कुछ लिखता हूं।

मजाल नही, एक पंक्ति भी
बिन मर्जी उनके लिख पाऊं
ये प्रभाव उन्हीं का तो है बस
आदेश उनका समझता हूं
तब जाकर कुछ लिखता हूं।।

Language: Hindi
1 Like · 153 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from राकेश चौरसिया
View all

You may also like these posts

जीवन में ईनाम नहीं स्थान बड़ा है नहीं तो वैसे नोबेल , रैमेन
जीवन में ईनाम नहीं स्थान बड़ा है नहीं तो वैसे नोबेल , रैमेन
Rj Anand Prajapati
प्रेम-गीत
प्रेम-गीत
Shekhar Chandra Mitra
रिश्तों के माधुर्य में,
रिश्तों के माधुर्य में,
sushil sarna
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दोहे
दोहे
Dr.Priya Soni Khare
मुझे  किसी  से गिला  नहीं  है।
मुझे किसी से गिला नहीं है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*काले-काले मेघों ने ज्यों, नभ का सुंदर श्रृंगार किया (राधेश्
*काले-काले मेघों ने ज्यों, नभ का सुंदर श्रृंगार किया (राधेश्
Ravi Prakash
बढ़ता चल
बढ़ता चल
अनिल कुमार निश्छल
जलती धरती
जलती धरती
डिजेन्द्र कुर्रे
🌷🌷  *
🌷🌷 *"स्कंदमाता"*🌷🌷
Shashi kala vyas
प्रतिभा हो अनाड़ी दिखना नहीं है
प्रतिभा हो अनाड़ी दिखना नहीं है
Pratibha Pandey
दोहा
दोहा
Shriyansh Gupta
"द्रौपदी का चीरहरण"
Ekta chitrangini
बुन रही हूँ,
बुन रही हूँ,
लक्ष्मी सिंह
ऑंधियों का दौर
ऑंधियों का दौर
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
विश्व टीकाकरण सप्ताह
विश्व टीकाकरण सप्ताह
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
सत्य कुमार प्रेमी
अलख क्रांति
अलख क्रांति
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
राना लिधौरी के बुंदेली दोहा
राना लिधौरी के बुंदेली दोहा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"महामंत्र है स्वच्छता"
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
वृक्षों की भरमार करो
वृक्षों की भरमार करो
Ritu Asooja
🙅आज पता चला🙅
🙅आज पता चला🙅
*प्रणय प्रभात*
आँसू
आँसू
Shashi Mahajan
4399.*पूर्णिका*
4399.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
"कलम का संसार"
Dr. Kishan tandon kranti
यूँ मिला किसी अजनबी से नही
यूँ मिला किसी अजनबी से नही
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
"भाग्य से जीतनी ज्यादा उम्मीद करोगे,
Ranjeet kumar patre
कोई और था
कोई और था
Mahesh Tiwari 'Ayan'
Loading...