शब्द
मत चलाओ कभी ऐसा शब्द वाण
जो सीने को भी छलनी कर जाये
लाख जतन करने के बाद भी
मन नहीं कभी पीड़ा से उबर पाये
बातें कह लो तुम चाहे लाख हजार
क्या मजाल जो मन उफ़ भी कहेगा
पर उसी बातों में अगर विष घुला हो
तुम्हीं बताओ तब कैसे कोई सहेगा
कल्पना से परे बातें सुनकर कभी
कोई भी सहसा हो सकता है स्तब्ध
क्योंकि किसी अस्त्र से भी अधिक
मारक होता बिना लगाम का शब्द
मुॅंह से निकला अगर शब्द अच्छा हो
तो पूरा का पूरा जग जीत जाओगे
जितना मन में कभी सोचा भी नहीं
शायद उससे अधिक ही प्रीत पाओगे