आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
जीवन की सुरुआत और जीवन का अंत
माँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
उम्मीदों का सूरज ढलने लगा है
*रोते-रोते जा रहे, दुनिया से सब लोग (कुंडलिया)*
आदर्श शिक्षक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
नफरतों के जहां में मोहब्बत के फूल उगाकर तो देखो
दौलत से सिर्फ"सुविधाएं"मिलती है
पुस्तक तो पुस्तक रहा, पाठक हुए महान।
बरगद एक लगाइए
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )