एक ग़ज़ल :-रूबरू खुद से हो जाए
वक्त बर्बाद मत करो किसी के लिए
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
*गुरूर जो तोड़े बानगी अजब गजब शय है*
सुनो! बहुत मुहब्बत करते हो तुम मुझसे,
जीवन में जोखिम अवश्य लेना चाहिए क्योंकि सबसे बड़ा खतरा कुछ भ
औपचारिक हूं, वास्तविकता नहीं हूं
पत्नी का ताना । हास्य कविता। रचनाकार :अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज ARVIND BHARDWAJ
*अंग्रेजों के सिक्कों में झाँकता इतिहास*