Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Apr 2024 · 1 min read

संवेदना (वृद्धावस्था)

शीर्ष थे परिवार में, ज्यों व्योम के तुम प्रथम तारे
ओ विपिन के वट-विटप, अब शून्य में किसको निहारे !

जोड़कर तृण-तृण तुम्हीं ने, दिवस ना कुछ रात देखा,
पर किया जिनके लिए उसने न तेरी ओर देखा !
सब सुखों को त्यागकर नव स्वप्न नित तुमने संजोये,
बह गए नदियों में या फिर पश्चिमी बागों में खोये !
कल्पना तो मात्र थी कुछ कष्ट वह तेरा संवारे,
ओ विपिन के वट-विटप, अब शून्य में किसको निहारे !!

देखकर यह कृति नियति की समझ में कुछ भी न आती,
कलम भी यह रो पड़ी है, फट गई कागज की छाती !
उम्रभर उद्यान को निज रक्त से सिंचित किया था,
लिखूं क्या? निशब्द हूँ! जिसने उसे पोषित किया था-
आज वह वट टहनियों औ पत्तियों का पग निहारे !
ओ विपिन के वट-विटप, अब शून्य में किसको निहारे !!

चाहता वह कल्पतरु बस, प्रियवचन का बूंद पानी,
श्रुतिपटल पर जा पड़े बस प्रेम से परिपूर्ण वाणी !
पारितोषिक की कहाँ इच्छा ! मात्र प्रिय वचन के स्वर,
स्नेह से अपनत्व के पल चाहते हैं नैन कातर !
बिन पुकारे दिया जिसने, आज वह किसको पुकारे?
ओ विपिन के वट-विटप, अब शून्य में किसको निहारे !!

संस्कार मेरे राष्ट्र में सर्वोच्च थे, कुछ कम कहाँ थे,
दिखा दो इतिहास है तो, यहाँ वृद्धाश्रम कहाँ थे ?
भूल बैठे संस्कृति को, हाय यह संयोग क्या है ?
विश्वगुरु के इस धरातल पर तेरा अभियोग क्या है ?
टूट कर क्यों गिर पड़े, संवेदना के तार सारे,
ओ विपिन के वट-विटप, अब शून्य में किसको निहारे !!

– नवीन जोशी ‘नवल’
दिल्ली।

(स्वरचित)

6 Likes · 1 Comment · 274 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ नवीन जोशी 'नवल'
View all

You may also like these posts

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
मोहब्बत जो हमसे करेगा
मोहब्बत जो हमसे करेगा
gurudeenverma198
सही मायने में मनुष्य होने का सही अर्थ आपको तब पता चलेगा जब आ
सही मायने में मनुष्य होने का सही अर्थ आपको तब पता चलेगा जब आ
Ravikesh Jha
मन  बंजारा  लौट  चला  है, देखी  दुनियादारी।
मन बंजारा लौट चला है, देखी दुनियादारी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
4177.💐 *पूर्णिका* 💐
4177.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ग़म का लम्हा, तन्हा गुज़ारा किजिए
ग़म का लम्हा, तन्हा गुज़ारा किजिए "ओश"
ओसमणी साहू 'ओश'
प्रार्थना नहीं करूंगा मैं
प्रार्थना नहीं करूंगा मैं
Harinarayan Tanha
भोले भक्त को भूल न जाना रचनाकार अरविंद भारद्वाज
भोले भक्त को भूल न जाना रचनाकार अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज ARVIND BHARDWAJ
मात्रा कलन
मात्रा कलन
आचार्य ओम नीरव
किसी और के आंगन में
किसी और के आंगन में
Chitra Bisht
एक लड़का,
एक लड़का,
हिमांशु Kulshrestha
मैं ज़िंदगी हूँ
मैं ज़िंदगी हूँ
Saurabh Kumar
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
कवि रमेशराज
हमें अब भी प्यार है उनसे
हमें अब भी प्यार है उनसे
विजय कुमार अग्रवाल
जीवन
जीवन
Neelam Sharma
कुछ मुस्कुरा के
कुछ मुस्कुरा के
Dr fauzia Naseem shad
होली
होली
sonu rajput
मिनखं जमारौ
मिनखं जमारौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
अहंकार
अहंकार
Bindesh kumar jha
- तुम्हारी व्याख्या -
- तुम्हारी व्याख्या -
bharat gehlot
जीवन एक युद्ध है...
जीवन एक युद्ध है...
पूर्वार्थ
मेरे साथ किया गया दुर्व्यवहार अच्छा नहीं होता
मेरे साथ किया गया दुर्व्यवहार अच्छा नहीं होता
Dr. Man Mohan Krishna
*असीम प्यार
*असीम प्यार
Rambali Mishra
वाकई, यह देश की अर्थव्यवस्था का स्वर्ण-काल है। पहले
वाकई, यह देश की अर्थव्यवस्था का स्वर्ण-काल है। पहले "रंगदार"
*प्रणय प्रभात*
जिन्दगी ....
जिन्दगी ....
sushil sarna
धरा से ही सबसे बड़ी धरोहर है।
धरा से ही सबसे बड़ी धरोहर है।
Rj Anand Prajapati
अंक की कीमत
अंक की कीमत
Juhi Grover
sp72 रतन टाटा की बेदाग जिंदगी के लिए दिलजीत ने जर्मनी में कंसर्ट रोका
sp72 रतन टाटा की बेदाग जिंदगी के लिए दिलजीत ने जर्मनी में कंसर्ट रोका
Manoj Shrivastava
चुनाव के बाद अयोध्या
चुनाव के बाद अयोध्या
Sudhir srivastava
Loading...