सोच समझकर

जब भी कोई दोस्ती का हाथ बढ़ाए,
अच्छे से देख लेना वो कहीं कंजर तो नहीं।
उसका दूसरा हाथ भी ज़रूर देख लेना,
कहीं उसमें छुपा कोई खंजर तो नहीं।
भले ही बातें मीठी हों उसकी, आवाज़ भी हो प्यारी,
कहीं उसकी आँखों में कोई शरारत तो नहीं
तुमने तो उसे दिल से अपनाया है,
कहीं वो तुम्हारे जज़्बातों से खेलना चाहता तो नहीं।
हर रिश्ता प्यार से शुरू होता है,
लेकिन कहीं उसमें कोई फ़रेब तो नहीं?
मुस्कुराहट सच्ची है उसकी या फिर
मुस्कुराहट के पीछे क्या कोई राज़ तो नहीं ?
तुम्हारे साथ वक़्त बिताना उसकी चाहत है ,
या तुम्हें किसी जाल में फ़साने की चाह तो नहीं
वक्त के साथ जो चेहरा बदल जाए,
कहीं उसमें वो स्वार्थ की प्रवृति तो नहीं?
कभी-कभी हम रिश्तों की खूबसूरती में खो जाते हैं,
फिर वो रिश्ते हमें धोखा दे जाते हैं
एक सच्चा दोस्त हमेशा साथ खड़ा रहता है,
देख लेना, मुसीबत में साथ छोड़ेगा तो नहीं?
हर कदम सोच समझ कर उठाओ,
दोस्ती करने से पहले दिल को समझाओ।
अगर वो सच्चा है तो उसकी दोस्ती को अपनाओ,
है अगर वो धोखेबाज़ तो खुद को उससे बचाओ।
हर इंसान में अच्छाई होती है,
लेकिन किसी के दिल में बुराई भी छुपी है।
इसलिए संभलकर हाथ को देखकर हाथ मिलाओ,
मरहम लेकर आया है वो या जेब में नमक की पुड़िया छुपी है।
दोस्ती सच्ची हो तो वो अनमोल होती है,
लेकिन कहीं वो कोई गलत इरादे तो नहीं रख रहा।
समझदार रहो, और रिश्तों को समझो,
कहीं वो तुम्हारे जीवन में अंधेरा तो नहीं कर रहा।
खंजर का वार बहुत गहरा होता जा रहा है,
सच्चे दोस्त का प्यार ज़िंदगी को रोशनी से भर रहा है।
इसीलिए आंखें खोलकर रखो अपनी,
कहीं तुम्हारे आस-पास तो कोई खंजर नहीं घूम रहा है।