त्रिलोक सिंह ठकुरेला के कुण्डलिया छंद
जुर्म तुमने किया दोषी मैं हो गया।
*पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, रामपुर*
शिक्षक दिवस
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
23/89.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
दिल से दिलदार को मिलते हुए देखे हैं बहुत
कभी-कभी हम यूँ ही उदास हो जाते हैं,
जिंदगी के तूफ़ानों की प्रवाह ना कर
तुम्हारे इंतिज़ार में ........
हर इंसान होशियार और समझदार है
ग़ज़ल’ की प्रतिक्रिया में ‘तेवरी’ + डॉ. परमलाल गुप्त