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1 Nov 2024 · 1 min read

हर शख्स तन्हा

हर शख्स तन्हा है ,शहर की इस भीड़ में
जैसे उड़ जाये बच्चे,छोड़ के चिड़िया नीड़ में।

अपनी बेतहाशा हसरतों को तू दे दे लगाम।
कितनी ख्वाहिशों, ख्वाबों का हुआ किस्सा तमाम।

खुद के बुने जाल में फंसता जा रहा है तू
लिहाज छोड़ ,गर्त में धंसता जा रहा है तू

रिश्ते नाते छूटे , छूटा तेरा हंसना बोलना
अपनों संग बातें कर ,काहे पानी बिलोना।

इक कमरें में बैठ कर ,बात करें मोबाइल से
हाय हैलो ही रह गये ,बातें हो गई स्टाईल से।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
50 Views
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