Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Feb 2024 · 1 min read

प्रभात वर्णन

देख सूरज लालिमा को, रात उठकर के चली।
अब यहाँ क्या काम मेरा , सोचकर आँखें मली।।

व्योम में फैला उजाला, खिल रही है हर दिशा।
आँख फाड़े देखती है, चौंककर भोली निशा।।

जागकर सारे पखेरू, चहुँ दिशा में उड़ चले।
हिम शिला निज रूप तजकर,बह नदी में जा मिले।।

फूल भी खिलने लगे हैं, संग पाकर भोर का।
मंदिरों में शंख बजता , राधिका चितचोर का।।

बह रही सरिता मुदित हो, मृग विचरते कुंज में।
कीर बैठा खा रहा है , आम्र फल तरु पुंज में।।

धार काँधे हल चला है, अन्न दाता खेत में।
सूर्य की किरणें बिखरके, लोटती हैं रेत में।।

मंद शीतल वात बहती, रागिनी सी बज रही।
भिन्न पादप अल्पना से, पुण्य वसुधा सज रही।।

देख प्यारी सुबह आयी, चेतना लेकर नई।
पूर्ण होंगे आज सबके, स्वप्न सुंदर से कई।।

©️
स्वरचित व मौलिक
– गोदाम्बरी नेगी

Language: Hindi
1 Like · 241 Views
Books from Godambari Negi
View all

You may also like these posts

कानून?
कानून?
nagarsumit326
सोच  का   अपनी   विस्तार   करिए
सोच का अपनी विस्तार करिए
Dr fauzia Naseem shad
यहां कुछ भी स्थाई नहीं है
यहां कुछ भी स्थाई नहीं है
शेखर सिंह
मीडिया, सोशल मीडिया से दूरी
मीडिया, सोशल मीडिया से दूरी
Sonam Puneet Dubey
एक बात हमेशा याद रखिए जब किसी की ग़लती करने पर गुस्सा आये तो
एक बात हमेशा याद रखिए जब किसी की ग़लती करने पर गुस्सा आये तो
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
बाबाओं की फौज
बाबाओं की फौज
Mukesh Kumar Rishi Verma
पूरी कर  दी  आस  है, मोदी  की  सरकार
पूरी कर दी आस है, मोदी की सरकार
Anil Mishra Prahari
ख़ुद को फ़लक़ से नीचे उतारा अभी अभी
ख़ुद को फ़लक़ से नीचे उतारा अभी अभी
अंसार एटवी
Dr. Arun Kumar Shastri
Dr. Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मत करो हमसे यह परदा
मत करो हमसे यह परदा
gurudeenverma198
सदियों बाद पधारे हैं प्रभु, जन्मभूमि हर्षाई है (हिंदी गजल)
सदियों बाद पधारे हैं प्रभु, जन्मभूमि हर्षाई है (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
सुंदर सा चित्र
सुंदर सा चित्र
Sudhir srivastava
कब आओगे?
कब आओगे?
Rambali Mishra
रंजिशें
रंजिशें
AJAY AMITABH SUMAN
"एक अग्नि की चिंगारी काफी है , जंगल जलाने के लिए l एक बीज का
Neeraj kumar Soni
" कम्फर्ट जोन "
Dr. Kishan tandon kranti
"लोग करते वही हैं"
Ajit Kumar "Karn"
ईव्हीएम को रोने वाले अब वेलेट पेपर से भी नहीं जीत सकते। मतपत
ईव्हीएम को रोने वाले अब वेलेट पेपर से भी नहीं जीत सकते। मतपत
*प्रणय*
3140.*पूर्णिका*
3140.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आम का वृक्ष
आम का वृक्ष
आशा शैली
चाहत
चाहत
dr rajmati Surana
हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
Phool gufran
कहने को खामोश थी,
कहने को खामोश थी,
sushil sarna
*दिल में  बसाई तस्वीर है*
*दिल में बसाई तस्वीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बता देना।
बता देना।
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
I love you Mahadev
I love you Mahadev
Arghyadeep Chakraborty
- तेरे सामने ही रहु -
- तेरे सामने ही रहु -
bharat gehlot
कभी शिद्दत से गर्मी, कभी बारिश की फुहारें ,
कभी शिद्दत से गर्मी, कभी बारिश की फुहारें ,
पूर्वार्थ
हो जाए
हो जाए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
इतना दिन बाद मिले हो।
इतना दिन बाद मिले हो।
Rj Anand Prajapati
Loading...