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31 Oct 2017 · 1 min read

रुखसत (ग़ज़ल)

हम रुखसत लेते हैं तुम्हारे पहलु से , सभी गिले-शिकवे तुम अब भुला देना.
जो भी खता हो गयी हो अनजाने में , मेरे दोस्त ! तुम माफ़ हमें कर देना.
ना दे सके तुम हमें अपनी मुहोबत , तो इसका मलाल भी हर्गिज़ मत करना.
याद आ जाएँ गर भूले से तुमको, तो दो अश्क बस हमारे लिए बहा देना.
वोह दो अश्क भी न हो गर हमारे लिए, चलो कोई बात नहीं, हमें याद तो कर लेना.

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