राहें थी अलग, पर नजाने क्यों दिल के तान बज गए,

राहें थी अलग, पर नजाने क्यों दिल के तान बज गए,
तुम्हारी चाह में,हम तेरे मंजिल के राहगीर बन गए,
उम्मीद थी मुझे कि एक दिन, दीदार होगे हुस्न के तेरे,
बस इसी ग़फलत में हम जाने कब बेकार बन गए।।
“विहल” ✍️