Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 2 min read

सम्मान

दोस्तों, कहते हैं ना कि इज्जत (Respect) मांगने से नहीं मिलती, यह बहुत मंहगी चीज है। जो सिर्फ कमायी जाती है।
अक्सर हमें ऐसा महसूस होता है कि हमारे कार्य क्षेत्र में हमारे सहभागी या जूनियर हमारी उतनी इज्जत नहीं करते, जितना हम उनसे उम्मीद करते हैं। हमारी बात को ज्यादा तबज्जो नहीं देते….??
या जैसी गुणवत्ता या उत्पादकता (Productivity) की हम उनसे सोच रखते हैं उतनी हमें नहीं मिल पाती,
जिस तरीके के सम्मान की अपेक्षा
हम उन लोगों से रखते हैं नहीं मिलता….।।
तो दोस्तों अपने दिल की अदालत में जरूर जायें, और अपना आत्म मूल्यांकन करें कि क्या आप उन सभी से जबरदस्ती अपना सम्मान पाना चाहते हैं, या सच में चाहते हैं कि वो लोग आपको दिल से सम्मान दें।
तो दोस्तों, अपने स्वभाव को परखिए कि क्या आप उन लोगों को सिर्फ एक सीनियर के नाते इज्जत पाना
चाहते हैं या सच में कुछ ऐसे काम करते हैं जिससे वो लोग आपको इज्जत दें?
मेरा अपना अनुभव कहता है कि जब आप अपने जूनियर या सहभागी साथियों की उनके कार्यो में मद़द करते हैं। उनको हमेशा आगे बढाने के लिए प्रेरित करते हैं, और उनकी प्रोफेशनल लाईफ में एक नयी दिशा प्रदान करते हैं, आप उनको प्रोफेशनल एप्रोच के साथ साथ पर्सनल मामले में भी उत्तम सुझाव और राय देतें हैं, फिर चाहे उसके चलते आपको उन्हें डांट फटकार भी लगानी पढती हो, उनकी तुच्छ गलतियों के लिए। पर आप अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करते हों अपने साथियों को विकसित करने के लिए, तो यकीन मेरा मानिए..।
सच में बेशक आप उनकी नजर में एक सख्त अफसर या सीनियर हो सकते होगें पर उन लोगों के दिल में आप एक खास इज्जत बना पायेंगे, जो आपको आपका पद़, रूतबा और कुर्सी न दिला सके। वो लोग आपको एक खास इज्जत प्रदान करेंगे, जो आपको आपके पद़ और रूतबे से प्राप्त नहीं होगी। ऐसा नहीं कि आप ये सम्मान सिर्फ अपने कार्य क्षेत्र में पायें, यह सब आपको अपनी फैमिली में भी मिलेगा।

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 95 Views

You may also like these posts

🙅आज का मैच🙅
🙅आज का मैच🙅
*प्रणय*
रचना
रचना
Mukesh Kumar Rishi Verma
अनोखा बंधन...... एक सोच
अनोखा बंधन...... एक सोच
Neeraj Agarwal
पुरुष की वेदना और समाज की दोहरी मानसिकता
पुरुष की वेदना और समाज की दोहरी मानसिकता
पूर्वार्थ
Memories in brain
Memories in brain
Buddha Prakash
*नाम पैदा कर अपना*
*नाम पैदा कर अपना*
Shashank Mishra
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ये बेकरारी, बेखुदी
ये बेकरारी, बेखुदी
हिमांशु Kulshrestha
भावना का कलश खूब
भावना का कलश खूब
surenderpal vaidya
मौसम है मस्ताना, कह दूं।
मौसम है मस्ताना, कह दूं।
पंकज परिंदा
विघन मेटौ विनायकां, घट में करजौ वास।
विघन मेटौ विनायकां, घट में करजौ वास।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
Mangu singh
मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं
मैं झुका नहीं मैं गिरा नहीं
VINOD CHAUHAN
जय हनुमान
जय हनुमान
Neha
- ख्वाबों की बारात -
- ख्वाबों की बारात -
bharat gehlot
हमसफ़र बन जाए
हमसफ़र बन जाए
Pratibha Pandey
सिलसिले
सिलसिले
Dr. Kishan tandon kranti
2509.पूर्णिका
2509.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
भूलभूलैया
भूलभूलैया
Padmaja Raghav Science
नहीं देखी सूरज की गर्मी
नहीं देखी सूरज की गर्मी
Sonam Puneet Dubey
अपने आमाल पे
अपने आमाल पे
Dr fauzia Naseem shad
बिन चाहे गले का हार क्यों बनना
बिन चाहे गले का हार क्यों बनना
Keshav kishor Kumar
सजा मेरे हिस्से की उनको बस इतनी ही देना मेरे मौला,
सजा मेरे हिस्से की उनको बस इतनी ही देना मेरे मौला,
Vishal babu (vishu)
महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस
महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस
Anop Bhambu
पिता पर गीत
पिता पर गीत
Dr Archana Gupta
कुंडलिया. . .
कुंडलिया. . .
sushil sarna
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
Manisha Manjari
जीवन में कुछ भी मुफ्त नहीं है, आपको हर चीज के लिए एक कीमत चु
जीवन में कुछ भी मुफ्त नहीं है, आपको हर चीज के लिए एक कीमत चु
ललकार भारद्वाज
कान्हा भक्ति गीत
कान्हा भक्ति गीत
Kanchan Khanna
मैं  रहूँ  या  ना रहूँ
मैं रहूँ या ना रहूँ
DrLakshman Jha Parimal
Loading...