प्रेम की अभिव्यक्ति

प्रेम की अभिव्यक्ति
मेरी प्रतिलिपि का ताप हो और मेरे देव नागरी लिपि में छाया हुआ अल्प प्राण महा प्राण हो कि जिसकी मेरी जिंदगानी जिंदगानी वायु प्राण पर मोहित है,
तुम्हें मेरा बाह्य आधार हो तुम्हें मेरा छाए हुए बादल का नवनीत प्रमाण हो
अभिवादनधारी नंदन से प्रेरित तुम नव कला अमर प्रेम गल में बोलो संगीत के महकते बादल की तरह सजते हो
किसी कुंवारी कन्या पर छाए नवनीत के मिले नवगीत से जुड़े अभिमंत्रित बादल हो
कविता रचनाकार: बाबिया खातून