काश देख लेता तुम्हें और दो पल के लिए कल अपने सपने में
काश देख लेता तुम्हें और दो पल के लिए कल अपने सपने में
छू लेता तेरे सारे दर्द अपने सारे ज़ख्मों से
देखनी थी तेरी आँखें छूने थे तेरे बाल
उठा दिया कम्बख़्त अलार्म ने बिना देखो मेरे दिल का हाल
सोचा था नहीं बताऊंगा किसी को अपना ये सपना लेकिन ये सपना, अब मेरे हर एक किस्से में है
कर वादा कल फिर आना ऐसे ही किसी मेरे सपने में
काश देख लेता तुम्हें और दो पल के लिए कल अपने सपने में