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27 Mar 2025 · 1 min read

खिल रही है देखो

खिल रही है देखो,,,,,

खिल रही है देखो
गुलशन क्यारी-क्यारी
दिन-दिन पल्लवित्त हो रही
यादें फूल तुम्हारी

सबर रही है महफिल
रंग ला रही है सारी
चमक रही देखों
अद्भुत सितारे प्यारी

अरमानों की घड़ी
चाहत में मचल रही है न्यारी
बहार सज रही है
गगन धरा से मिल प्यारी

हिलोर दे रही हैं दिल
ठहरी सितम दुश्वारी
अखियों में लिए हुए हैं
चांद चेहरा तुम्हारी

बूंद-बूंद चमक रही
छटा ओस न्यारी
खुशियों की पूर जोर
अलबेला महक रही तुम्हारी

घड़ी दर धड़ी
नजदीक आ रही मिल हमारी
ऐसे जैसे लगते हैं
इंद्र धरा साथ हैं हमारी

प्रिय तेरी मधुर आवाजें
दिल लिए चल रही है अमुआ किलकारी
आसमा सफर करती पंछी
पिंजड़े से निकल रही पंछी हारी

मुस्कान पर आ ठहरी
यादें प्यारी तुम्हारी
जहन दस्तक दे रही
तूम किधर हो प्रिय ओ नारी

अनोप भाम्बु
जोधपुर

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